स्थानीय चुनाव: नामांकन शुरू, लेकिन महाविकास आघाड़ी और महायुति में अभी तक गठबंधन पर फैसला नहीं

नामांकन शुरू, लेकिन महाविकास आघाड़ी और महायुति में अभी तक गठबंधन पर फैसला नहीं
  • गठबंधन को लेकर नेताओं में मतभेद
  • नाशिक, पुणे और ठाणे में समीकरण उलझे
  • आघाड़ी में ‘मनसे’ को लेकर मतभेद

Mumbai News. राज्य में नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों की सरगर्मी बढ़ चुकी है। नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो चुकी है, लेकिन राज्य की दो बड़ी राजनीतिक शक्तियां महाविकास आघाड़ी और महायुति में अब तक गठबंधन और सीट बंटवारे पर कोई फैसला नहीं हो पाया है। सूत्रों के अनुसार राज्य में कुछ जगहों पर दोनों ही गठबंधन के दलों में आपसी सहमति नहीं बन पा रही है। जिसकी वजह से उम्मीदवारों के नामों पर भी फैसला नहीं हो सका है। खबर है कि महायुति में गठबंधन को लेकर मंगलवार को बैठक हो सकती है। जबकि कांग्रेस अपने उम्मीदवारों के नाम पर बुधवार को फैसला करने वाली है।

आघाड़ी में ‘मनसे’ को लेकर मतभेद

नाशिक से शुरू हुई चर्चा के बाद अब पूरे राज्य में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को महाविकास आघाड़ी में शामिल किए जाने को लेकर मतभेद उभर आए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल की आपत्ति के बाद महाआघाडी में मनसे की एंट्री संदिग्ध दिखाई दे रही है। अगर दोनों ठाकरे बंधू एक साथ आते हैं तो इस स्थिति में कांग्रेस और शरद गुट अपने रास्ते बदल सकते हैं। हालांकि शिवसेना (उद्धव) के कुछ स्थानीय नेताओं ने मनसे के साथ गठबंधन के संकेत दिए हैं। जबकि राकांपा (शरद) ने अभी तक गठबंधन को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। दूसरी तरफ महायुति भाजपा, शिवसेना (शिंदे) और राकांपा (अजित) में भी सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। भाजपा के स्थानीय नेताओं को कई नगर परिषदों में अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है, जबकि कहीं अजित गुट और कहीं शिंदे गुट आपस में एक साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ना चाहते। जिसकी वजह से दोनों ही गठबंधनों में अभी तक एकजुट होकर चुनाव लड़ने को लेकर सहमति नहीं बन पाई है।

स्थानीय समीकरण बने चुनौती

राज्य के कई हिस्सों में स्थानीय स्तर पर कांग्रेस और राकांपा के पुराने गुट फिर से सक्रिय हो रहे हैं। नाशिक, पुणे और ठाणे जैसे शहरों में स्थानीय नेता अपने-अपने वर्चस्व क्षेत्र को बचाने में जुटे हैं। जैसे नाशिक में अजित गुट ने भाजपा के साथ गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ने की बता कही है लेकिन यहां पर वह शिंदे गुट के साथ चुनाव लड़ना नहीं चाहते। जिससे गठबंधन के दलों में आगामी समय में तकरार देखने को मिल सकती है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर गठबंधन की तस्वीर जल्द साफ नहीं हुई तो सभी दल अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार सकते हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय या चौकोणीय होने की संभावना है।

Created On :   10 Nov 2025 9:45 PM IST

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