बॉम्बे हाई कोर्ट: शाम 6 बजे के बाद मतदान पर आदेश सुरक्षित, पालघर विधायक गावित को राहत, नियुक्ति में देरी के खिलाफ अदालत में बेरोजगार

शाम 6 बजे के बाद मतदान पर आदेश सुरक्षित, पालघर विधायक गावित को राहत, नियुक्ति में देरी के खिलाफ अदालत में बेरोजगार
  • पालघर के विधायक राजेंद्र गावित को राहत, उनकी जीत को चुनौती देनेवाली याचिका खारिज
  • महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शाम 6 बजे के बाद मतदान को लेकर दायर याचिका पर आदेश रखा सुरक्षित
  • नियुक्ति पत्र के बावजूद नियुक्ति में देरी के खिलाफ बेरोजगार सिंधुदुर्ग का एक युवक पहुंचा बॉम्बे हाई कोर्ट
  • दूसरी पत्नी के बारे में एक कॉलम जोड़ देने मात्र से निर्वाचन को रद्द करने का कोई आधार नहीं हो सकता है
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने अविवाहित महिला को 25 सप्ताह का गर्भ गिराने की दी अनुमति

Mumbai News. पालघर से शिवसेना (शिंदे) विधायक राजेंद्र गावित को मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत मिली है। गावित के निर्वाचन को चुनौती देनेवाली याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि नामांकन पत्र दाखिल करते समय हलफनामे में दूसरी पत्नी के बारे में एक कॉलम जोड़ने मात्र से उनके निर्वाचन को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है। याचिकाकर्ता सुधीर जैन की ओर से पेश वकील नीता कार्णिक ने दलील दी कि दूसरी पत्नी के बारे में घोषणा करने का कोई प्रावधान नहीं है। दूसरी पत्नी का नाम जोड़ने के लिए एक अतिरिक्त कॉलम जोड़ना चुनाव नियमों (4ए) का उल्लंघन है। गावित के वकील नितिन गंगल ने कहा कि गावित भील समुदाय से हैं, जिसमें बहु-विवाह की अनुमति है। न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की एकल पीठ ने कहा कि गावित ने अपने दूसरे जीवनसाथी के पैन और आयकर रिटर्न का सही खुलासा किया है। उन्होंने चुनाव से जुड़े नियम का उल्लंघन नहीं किया है।

भील समुदाय में बहु-विवाह की अनुमति

गावित के वकील गंगल ने कहा कि भील समुदाय बहु-विवाह की अनुमति है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 2 के प्रावधान आदिवासियों पर लागू नहीं होते हैं। ये दलीलें सुनने के बाद पीठ ने जैन की याचिका खारिज कर दी।


बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शाम 6 बजे के बाद मतदान को लेकर दायर याचिका पर आदेश रखा सुरक्षित

इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शाम 6 बजे के बाद मतदान को लेकर दायर याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा है। याचिका में विधानसभा चुनाव के दिन शाम 6 बजे के बाद 76 लाख वोट डाले जाने का दावा किया गया। सुनवाई के दौरान अदालत ने सवाल किया कि लोकसभा चुनाव में शाम 6 बजे के बाद मतदान को चुनौती क्यों नहीं दी गई? याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रकाश आंबेडकर ने दलील दी कि चुनाव में हेरफेर किया गया था, जिससे प्रक्रिया में जनता का विश्वास प्रभावित हुआ। न्यायमूर्ति जी.एस.कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने चेतन अहिरे की ओर से वकील प्रकाश अंबेडकर द्वारा दायर याचिका में कहा कि बुधवार को आदेश पारित किया जाएगा। याचिका में 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों को स्थापित कानूनी प्रावधानों का पालन न करने, प्रक्रियात्मक खामियों और कानूनी प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण चुनाव परिणाम को अमान्य घोषित करने का अनुरोध किया गया है। सुनवाई के दौरान भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने याचिका पर प्रारंभिक आपत्तियां उठाई और दलील दी कि अदालत को याचिका के गुण-दोष पर विचार करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। याचिका में पूरा मुद्दा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दिन शाम 6 बजे के बाद डाले गए 76 लाख वोटों के इर्द-गिर्द घूमता है। ईसीआई ने एक डेटा जारी करते हुए कहा था कि 20 नवंबर 2024 को महाराष्ट्र विधानसभा मतदान के दिन शाम 6 बजे के बाद 76 लाख वोट डाले गए थे।

नियुक्ति पत्र के बावजूद नियुक्ति में देरी के खिलाफ बेरोजगार सिंधुदुर्ग का एक युवक पहुंचा बॉम्बे हाई कोर्ट

उधर सिंधुदुर्ग के एक बेरोजगार युवक ने नियुक्ति पत्र के बावजूद नियुक्ति में देरी के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। युवक को अक्टूबर 2024 में महाराष्ट्र में रोजगार गारंटी योजना (ईजीएस) के तहत सहायक कार्यक्रम अधिकारी के रूप में नियुक्ति पत्र मिला है। याचिका में आठ महीने से नियुक्ति का इंतजार कर रहे बेरोजगारी युवक द्वारा अदालत से तत्काल राहत देने का अनुरोध किया गया है। सिंधुदुर्ग के सावंतवाड़ी से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर सुमेध शिवाजी जाधव को अक्टूबर 2024 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के तहत सहायक कार्यक्रम अधिकारी के रूप में चुना गया। याचिका में दावा किया गया है कि उसे 10 अक्टूबर 2024 को नियुक्ति पत्र मिला। अगले दिन एस2 इन्फोटेक ने सिंधुदुर्ग में ईजीएस शाखा के डिप्टी कलेक्टर को जाधव के चयन की औपचारिक सूचना दी। उसके बाद से याचिकाकर्ता युवक सिंधुदुर्ग में एमजीएनआरईजीएस कार्यालय के साथ-साथ मंत्रालय के चक्कर लगाता रहा, लेकिन उसे कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा है। याचिका में अदालत से राज्य सरकार और एस 2 इन्फोटेक को उस पद पर नियुक्त करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। मामले की जल्द सुनवाई हो सकती है।


दूसरी पत्नी के बारे में एक कॉलम जोड़ देने मात्र से निर्वाचन को रद्द करने का कोई आधार नहीं हो सकता है...बॉम्बे हाई कोर्ट

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट से पालघर से शिवसेना विधायक राजेंद्र गवित को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने गावित के खिलाफ दायर चुनावी याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि शिवसेना विधायक द्वारा नामांकन पत्र दाखिल करते समय हलफनामे में दूसरे पत्नी के बारे में एक कॉलम जोड़ देने मात्र से उसके निर्वाचन को रद्द करने का कोई आधार नहीं हो सकता है। न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की एकल पीठ ने सुधीर जैन की दायर याचिका पर अपने फैसले में कहा कि केवल इसलिए कि गावित ने अपने दूसरे जीवनसाथी के पैन और आयकर रिटर्न की स्थिति के विवरण का सही खुलासा किया है, यह दलील नहीं दी जा सकती है कि उनकी ओर से चुनाव नियमों के नियम 4ए का कोई उल्लंघन हुआ है। चुनाव नियमों का नियम 4 (ए) नामांकन पत्र प्रस्तुत करते समय दायर किए जाने वाले हलफनामे के प्रारूप से संबंधित है। गावित द्वारा फॉर्म-26 हलफनामे में जानकारी का सही और ईमानदार खुलासा करने के लिए एक कॉलम जोड़ने का कार्य न तो इसे दोषपूर्ण बनाता है और न ही चुनाव नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ता जैन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नीता कार्णिक ने दलील दी कि दूसरे पत्नी की घोषणा करने का कोई प्रावधान नहीं है। गावित द्वारा अपने दूसरे पत्नी का नाम जोड़ने के लिए एक अतिरिक्त कॉलम जोड़ना चुनाव नियमों के नियम 4 (ए) का उल्लंघन है। गावित के वकील नितिन गंगल ने कहा कि सही और सही खुलासा करने के उद्देश्य से फॉर्म-26 में केवल एक कॉलम जोड़ना चुनाव को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है। गावित भील समुदाय से आते हैं, जहां बहुविवाह की अनुमति है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 2 के प्रावधानों को आदिवासी व्यक्तियों पर लागू नहीं होता है। भील समुदाय में दूसरी शादी करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अन्यथा भील समुदाय में बहुविवाह की प्रथा है। पीठ ने कहा कि ऐसे मामले हो सकते हैं, जहां किसी विशेष धर्म से संबंधित उम्मीदवार जिसमें बहुविवाह निषिद्ध नहीं है, वे कई विवाह किए हों। ऐसे में याचिका खारिज की जाती है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अविवाहित महिला को 25 सप्ताह का गर्भ गिराने की दी अनुमति

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अविवाहित महिला को 25 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दे दी। महिला ने सामाजिक कलंक के डर से अपने 25 सप्ताह के गर्भ को गिराने का निश्चय किया। उसके साथी ने उसकी देखभाल करने पर असहमति जताई थी। महिला ने अपनी याचिका में कहा कि वह सहमति से साथी के साथ संबंध में थी। वह अब उसके साथी के साथ संबंध में नहीं है और इसलिए गर्भावस्था को जारी रखने की इच्छुक नहीं है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति डॉ. नीला गोखले की पीठ ने कहा कि 31 वर्षीय महिला अपनी परिस्थितियों के कारण असहाय हो गई थी। हमें लगता है कि याचिकाकर्ता अपनी परिस्थितियों और साथी के सहयोग देने से इनकार करने के कारण मुश्किल में फंस गई है। वह स्वाभाविक रूप से सामाजिक कलंक के बारे में आशंकित है और साथ ही अपने माता-पिता का सामना कर रही है, जो इन परिस्थितियों में सहायक नहीं हो सकते हैं। पीठ ने कहा कि हमने याचिकाकर्ता को अपने साथी को प्रतिवादी के रूप में शामिल करना आवश्यक समझा और उससे अनुरोध किया कि वह प्रतिवादी को हमारे समक्ष चैंबर में उपस्थित रहने के लिए सूचित करे। इसके बाद उसका साथी हमारे समक्ष उपस्थित हुआ और उसका जवाब नोट किया गया। उसने याचिकाकर्ता के खाते में उसके द्वारा किए जाने वाले चिकित्सा और कानूनी खर्चों के लिए 1 लाख रुपए की राशि जमा करने की पेशकश की। उसने हमें यह भी आश्वासन दिया कि यदि वह अस्पताल में होगी, तो वह याचिकाकर्ता के साथ जाएगा। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील की कानूनी फीस के अलावा चिकित्सा और अन्य विविध खर्चों के लिए साथी द्वारा की गई पेशकश को स्वीकार कर लिया और उसे उस राशि को याचिकाकर्ता के बैंक खाते में जमा करने को कहा।

Created On :   24 Jun 2025 10:10 PM IST

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