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बॉम्बे हाई कोर्ट: जुआ एक भाग्य का खेल है, कौशल का खेल नहीं हैं, आरोपियों को बरी करने से किया इनकार

- पांच आरोपियों को बरी करने से किया इनकार
- अदालत ने जुआ के मामले में कार्रवाई की
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि जुआ एक भाग्य का खेल है, कौशल का खेल नहीं हैं। यह कृत्य निश्चित रूप से महाराष्ट्र जुआ निवारण अधिनियम की धारा 12 के प्रावधानों के तहत 'जुआ' के दायरे में आता है। अदालत ने जुवा के मामले में गिरफ्तार पांच आरोपियों को बरी करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति रंजीतसिंह राजा भोंसले की पीठ के समक्ष सुनिल नागेश चंदवकर समेत अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील सत्यव्रत जोशी ने दलील दी कि छापेमारी करने से पहले संबंधित अधिकारी ने उच्च प्राधिकारी से आवश्यक अनुमति नहीं ली। हालांकि मटका कोई भाग्य का खेल नहीं है, बल्कि कौशल का खेल है। इसलिए महाराष्ट्र जुआ निवारण अधिनियम की धारा 12 का प्रयोग अनुचित है। याचिकाकर्ताओं को उस मामले से बरी किया जाए। सरकारी वकील माधवी एच. म्हात्रे ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि एफआईआर और 7 अप्रैल 2022 के पंचनामा के मात्र अवलोकन से पता चलता है कि याचिकाकर्ता जुए की गतिविधि में लिप्त थे। इस मामले में उन पर अभियोग लगाने के लिए अभिलेखों में पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है। उनके द्वारा खेला जा रहा कथित खेल 'कल्याण मैं मटका' था। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध प्रथम दृष्टया एक मजबूत मामला बनता है। हम उन्हें राहत नहीं दे सकते हैं। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।
क्या है पूरा मामला
पुलिस ने कर्जत के सांगवी गांव स्थित संज़ारा फार्म में कुछ व्यक्तियों द्वारा जुआ खेलने की गतिविधि में लिप्त होने की सूचना पर छापा मारा और यहां से पांच लोगों को कल्याण मैं मटका' पर जुआ खेलते हुए पकड़ा था। कर्जत पुलिस स्टेशन में 8 अप्रैल 2022 को महाराष्ट्र जुआ निवारण अधिनियम धारा 12(ए) के अंतर्गत उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था। याचिकाओं में अरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया था।
Created On :   30 Oct 2025 9:10 PM IST












