8 हजार 500 रुपए के पार हुए सोयाबीन के दाम

Relief to farmers - Soybean prices crossed 8 thousand 500 rupees
8 हजार 500 रुपए के पार हुए सोयाबीन के दाम
किसानों को राहत 8 हजार 500 रुपए के पार हुए सोयाबीन के दाम

डिजिटल डेस्क, यवतमाल। जिले में सोयाबीन के दाम बढ़ते ही जा रहे है। जिससे किसानों को राहत मिल रही है। पहले 3 हजार रुपए तक बिकने वाला सोयाबीन अब तीन गुना दाम की ओर बढ़ रहा है। यवतमाल जिले में बुधवार को सोयाबीन को 8 हजार 300 रुपए प्रति क्विंटल के दाम मिले हैं। जिले के कृषि उत्पन्न बाजार समितियों और बाहर व्यापारियों द्वारा की जा रही खरीद में यह दाम मिल रहे हैं। ज्यादा सोयाबीन कंपनियों द्वारा खरीदा जा रहा है। सोयाबीन नहीं मिला तो उनकी कंपनियों पर ताला लग सकता है। इसलिए वह ऊंचे दाम होने के बावजूद बड़ी खरीददारी करते नजर आ रहे हैं। पहले ही लौटते मानसून से सोयाबीन और कपास की फसल चौपट हो गई थी। जिसके कारण उत्पादन में कमी आयी है। उसी के चलते यह दाम बढ़ रहे हैं। सोयाबीन के दाम बढ़ने से सोयाबीन का तेल भी 150 रुपए प्रति लीटर ग्राम तक पहुंच गया है। यह दाम फल्ली तेल से प्रति लीटर मात्र 20 रुपए कम हैं। उल्लेखनीय है कि ऐसे ही बाजार में तेजी रही तो वह दिन दूर नहीं है जब सोयाबीन का दाम 9 हजार के पार चला जाएगा। यवतमाल ही नहीं तो आसपास के जिलों और राज्यों से व्यापारी सोयाबीन खरीदने के लिए आ रहे है। जिसमें वर्धा के हिंगणघाट, तेलंगणा के अदिलाबाद, मध्यप्रदेश, अमरावती आदि स्थानों से व्यापारी यहां आ रहे है। दूसरी ओर आईटीसी चौपाल द्वारा भी नगद में खरीदी की जा रही है। सोयाबीन बिकते ही पैसा हाथ में मिलने से मिले। वहीं, कपास को कुछ दिन के लिए घरों में ही रखना मुनासिफ मान रहे हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ किसानों ने दी है। ताकि कपास के भी दाम बढ़ जाएं तब उसे बेचकर मुनाफा कमाया जा सके। कृषि उपज बेचते समय किसानों से ज्यादा लाभ व्यापारियों को हो रहा है। क्योंकि व्यापारियों के पास अनाज रखने के लिए भंडारण क्षमता, आर्थिक क्षमता है, मगर किसान की उपज निकलते ही उसे पैसे देने वाले पैसे मांगने के लिए खड़े रहते हैं। सवाई से बोली होती है जिसमें 100 रुपए के 125 रुपए देने होते है। ऐसे में किसान न चाहते हुए भी फसल बेचने के लिए मजबूर हो जाता है।

खरीफ मौसम के लिए सोयाबीन के बीज अभी से बचाएं

आगामी खरीफ मौसम 2022 में किसानों को सोयाबीन के बीज की किल्लत न हो इसलिए अभी से उसका नियोजन कर उसे संजोकर रखने के निर्देश जिलाधिकारी अमोल येडगे ने महाबीज को दिए है। जिसके चलते उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में खरीफ की बुआई के समय सोयाबीन बीज की किल्लत नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि यवतमाल जिले में सोयाबीन के दाम रिकार्ड तेजी पर हैं। ऐसे में दाम अच्छे मिलते देख किसान खरीफ मौसम के लिए बीज रखेंगे या नहीं इसकी कोई उम्मीद नहीं है। इसलिए महाबीज को उक्त निर्देश दिए गए है। यवतमाल जिले में चालू खरीफ के मौसम में 3 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की गई थी। मगर लौटते मानसून ने यह फसल बर्बाद कर दी थी। इसलिए खरीफ 2022 में सोयाबीन बीज की किल्लत हो सकती है। राज्य सरकार की बीज निर्माता इकाई महाबीज द्वारा बीजोत्पादन कार्यक्रम कार्यान्वित करता है। इसीलिए उन्हें इन सोयाबीन को प्रमाणित कर उसके सर्वोत्तम बीज बनाने के लिए कहा गया है। यवतमाल में भी इस महाबीज का एक प्लांट यवतमाल मेडिकल कॉलेज से सटा हुआ है। महसूल भवन में हुई सभा में महाबीज के जिला व्यवस्थापक ए.आर.ठाकरे को उक्त निर्देश दिए गए हैं। महाबीज द्वारा 3 हजार एकड़ में सोयाबीन बीजोत्पादन कार्यक्रम का नियोजन तहसीलनिहाय करने की जानकारी उन्होंने दी। सोयाबीन के फुले संगम, एम.ए.यू.एस. 612, एम.ए.यू.एस. 158 व जे.एस.9305 आदि प्रजाति के बीज किसानों को आपूर्ति किए जाएंगे। किसानों को सूचित किया गया है कि जिन किसानों को खरीफ में सोयाबीन बीज लगेंगे वह 30 नवंबर तक नाम दर्ज करें। ताकि सोयाबीन बीज की किल्लत न हो। इस समय सहयोगी संशोधन संचालक डा. प्रमोद यादगिरवार, कृषि विज्ञान केंद्र किट विशेषज्ञ डा. प्रमोद मगर, पुसद के उपविभागीय कृषि अधिकारी डा. प्रशांत नाईक, जिला बीज प्रमाणीकरण अधिकारी  कुंटावार, कृषि अधिकारी अनिल राठी, पंकज बरडे आदि उपस्थित थे।

Created On :   25 Nov 2021 2:06 PM GMT

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