- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- कागजों में दफन होकर रह गया...
कागजों में दफन होकर रह गया क्रोकोडाइल पार्क का प्रोजेक्ट

डिजिटल डेस्क जबलपुर । शहर को प्रकृति से सौगात के रूप में मिले मगरमच्छों की खासियत से देश-दुनियां को परिचित कराने के लिए करीब एक दशक पहले खमरिया-रिठौरी के समीप क्रोकोडाइन पार्क या सेंचुरी बनाने का निर्णय लिया गया। इसके निर्माण का प्रस्ताव स्वीकृत भी हो गया था, लेकिन जिम्मेदारों ने कभी इसकी सुध तक नहीं ली। हालात ये बने के कि शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने से जुड़ा एक अच्छा खासा प्रोजेक्ट कागजों में दफन होकर रह गया। वन विभाग ने तो इसकी फाइल तक क्लोज कर दी है। क्रोकोडाइल पार्क स्थापित नहीं होने व संरक्षण नहीं होने की वजह से अब नदियों व जलाशयों से बाहर िनकलकर ये गांवों की सीमाओं में घुस रहे हैं और दहशत का पर्याय बन गए हैं। सेंचुरी बनती तो पर्यटक आते और यही मगरमच्छ लोगों की आय व रोजगार का जरिया बनते। इनका संरक्षण भी होता लेकिन इसकी फिक्र किसी को नहीं है।
10 किमी के दायरे में बनना था पार्क
परियट नदी में 1 से 15 फीट लम्बाई के करीब 8 सौ मगरमच्छ मौजूद हैं। इसे देखते हुए ही वर्ष 2011-12 में शासन ने परियट नदी से लगे 10 किमी के क्षेत्र में क्रोकोडाइल पार्क बनाने की रूपरेखा तैयार की थी। यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (यूएनडीपी) के तहत 2 करोड़ का बजट भी इसके लिए स्वीकृत हुआ था। इस दौरान 65 लाख रुपए वन विभाग को मिले भी थे लेकिन कुछ ही महीनों बाद विभागीय उदासीनता को देखते हुए यूएनडीपी ने बजट देने पर रोक लगा दी थी।
इनका कहना है
शहर में क्रोकोडाइल पार्क बनने का प्रोजेक्ट काफी पहले क्लोज हो चुका है। बरसात के दिनों में मगरमच्छ को बाहर निकलकर यहाँ-वहाँ जाने से रोका नहीं जा सकता। इसे देखते हुए मगरमच्छ का समय पर सुरक्षित रेस्क्यू करने पर ही अब हमारा ध्यान होगा ताकि मगरमच्छ एवं आम लोगों की भी पर्याप्त सुरक्षा की जा सके।
-अंजना शुचिता तिर्खी डीएफओ, जबलपुर
Created On :   22 Sept 2021 3:32 PM IST