चलने को सड़क नहीं, खाट से बीमार को अस्पताल ले जाते है मड़ई के ग्रामवासी

There is no road to walk, the villagers take the sick from the cot to the hospital
चलने को सड़क नहीं, खाट से बीमार को अस्पताल ले जाते है मड़ई के ग्रामवासी
 चार वर्ष में नहीं बन पाई तीन किलोमीटर की सड़क चलने को सड़क नहीं, खाट से बीमार को अस्पताल ले जाते है मड़ई के ग्रामवासी

डिजिटल डेस्क कटनी । सड़क, पानी और बिजली की सुविधा नहीं मिलने पर जनप्रतिनिधियों  और सरकारी मोहकमें का विरोध करना मड़ई वासियों को इस कदर मंहगा पड़ रहा है कि खस्ताहाल मार्ग में लोग गिरते-पड़ते हुए आवागमन करते हैं। मजबूरी का आलम यह है कि यदि कोई यहां पर बीमार पड़ जाए तो फिर उसे खाट का सहारा लेकर ग्रामीण तीन किलोमीटर का सफर तय करते हैं। जिसके बाद ही उन्हें पक्का मार्ग नसीब हो पाता है। 85 वर्षीय बुजुर्ग रामकृष्ण उरमलिया 13 दिन से बीमार पड़े थे। तबियत में जब आराम नहीं लगा तो वे शुक्रवार को परिजन उन्हें खाट में लेकर मुख्य मार्ग तक पहुंचे।  गर्भवती महिलाओं के लिए भी इमरजेंसी में खाट या फिर दोपहिया वाहन का उपयोग परिजन करते हैं। यहां के 352 मतदाता और यहां पर निवासरत लोग आजादी के बाद से मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं। 28 नवंबर 2018 का दिन याद करते हुए ग्रामीण कहते हैं कि उस दिन विधानसभा चुनाव में मतदान पड़े थे। मूलभूत सुविधाओं को लेकर यहां के मतदाताओं ने विरोध दर्ज कराया था। शायद उसी की सजा जिम्मेदार ग्रामीणों को दे रहे हैं।
जनप्रतिनिधियों पर अनदेखी का आरोप
गांव के लोग जनप्रतिनिधियों पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि शायद मतदान के बहिष्कार करने की सजा उन्हें परदे के पीछे से जनप्रतिनिधि दे रहे हैं।  अंगद त्रिपाठी का कहना है कि राजनेता अपने वादे चुनाव के समय करके भूल जाते हैं। विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार किये रहे उसका खामियाजा ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है। तीजो बाई ने कहा कि इस खस्ताहाल सड़क में पूरा जीवन ही गुजर गया।
कीचड़ से सन जाता है मार्ग
जनपद मुख्यालय कटनी के इस गांव की दूरी शहर से करीब 12 किलोमीटर है। जुगिया काप तक तो पक्का मार्ग है, लेकिन इसके आगे का सफर ग्रामीणों के लिए दुखदायी हो जाता है। ठंड और गर्मी के सीजन में ऊबड़-खाबड़ मार्ग से तो ग्रामीण किसी तरह से आवागमन कर लेते हैं। बरसात के सीजन में यह मार्ग उनके लिए अभिशाप बन जाता है। दो-तीन की बारिश से फिर से जुगियाकाप-मड़ई मार्ग कीचड़ से सन गया और लोगों की परेशानी शुरु हो गई।
स्कूल में दूसरे गांव के  नहीं आते बच्चे
यहां पर पहली से लेकर आठवीं तक स्कूल है। आसपास कुछ जगहों पर मीडिल स्कूल नहीं है, लेकिन आसपास के ग्रामीण अपने बच्चों को यहां पर इसलिए प्रवेश नहीं दिलाते कि खस्ताहाल मार्ग पढ़ाई में साल भर रुकावट पैदा करेगी। मीडिल स्कूल की प्रभारी प्रधानाध्यापिका विभा पांडे ने कहा कि पांचवी तक यहां पर 17 और छठवीं से लेकर आठवीं तक महज  12 विद्यार्थी ही दर्ज हैं। स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए पांच शिक्षक हैं। आसपास के गांवों में जब यहां के शिक्षक अभिभावकों से मिलकर उनके बच्चों को स्कूल में नाम दर्ज कराने की बात कहते हैं तो वे जर्जर मार्ग बताकर अपने बच्चों का नाम यहां पर दर्ज नहीं कराते।
इनका कहना है
 मड़ई के खस्ताहाल मार्ग को लेकर प्रस्ताव दिया गया है। कोशिश होगी कियहां पर जल्द से जल्द पक्की सड़क बन जाए।          
संदीप जायसवाल, विधायक मुड़वारा
 

Created On :   18 Sep 2021 8:49 AM GMT

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