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कठौंदा के पास क्यों फेंके जा रहे मरे जानवरों के अवशेष?

दो महिलाओं की जनहित याचिका में लगे आरोपों पर हाईकोर्ट ने मांगा सरकार व अन्य से जवाब
डिजिटल डेस्क जबलपुर । हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार व अन्य से पूछा है कि कठौंदा के पास मरे जानवरों का डिस्पोजल करके उनके अवशेष आसपास क्यों फेकें जा रहे हैं? दो महिलाओं की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को जवाब पेश करने के निर्देश दिए। मामले पर अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी।
कठौंदा के प्रभात नगर में रहने वाली नन्ही बाई और अमखेरा में रहने वाली प्रभा यादव (दोनों पूर्व सरपंच) की ओर से यह जनहित याचिका दायर की गई है। आवेदकों का कहना है कि कठौंदा के पास मरे हुए जानवरों का डिस्पोजल करके उनके अवशेष वहीं पर फेंक दिए जाते हैं। इसके कारण न सिर्फ वहां पर दुर्गंध फैल रही, बल्कि वहां का वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। याचिका में दावा किया गया है कि अब कठौंदा का इलाका नगर निगम के वार्ड नं. 72 में आ चुका है और कानूनन नगर निगम की सीमा के भीतर मरे हुए जानवरों का डिस्पोजल नहीं किया जा सकता। आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर कठौंदा में डिस्पोजल का काम खुले आम किया जा रहा है। इस बारे में संबंधित अधिकारियों को शिकायतें देने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई। याचिका में मप्र सरकार, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल के डायरेक्टर, जबलपुर के संभागायुक्त, कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त, जिला पंचायत के सीईओ और एसडीओ राजस्व को पक्षकार बनाया गया है। मामले पर बुधवार को हुई प्रारंभिक सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सौरभ कुमार तिवारी, राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता हरजस सिंह छाबड़ा और नगर निगम की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह हाजिर हुए। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए जवाब पेश करने के निर्देश दिए।
Created On :   19 March 2020 1:51 PM IST