लेबर पेन से तड़पती रही महिला , नहीं आई 108 एंबुलेंस

Woman suffering from labor pain ambulance not coming
लेबर पेन से तड़पती रही महिला , नहीं आई 108 एंबुलेंस
लेबर पेन से तड़पती रही महिला , नहीं आई 108 एंबुलेंस

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रसव पीड़ा से महिला आधी रात को कराहती रही। परिजन 108 एंबुलेंस सेवा को फोन लगाते रहे, पर सुविधा का लाभ नहीं मिला। थक-हारकर परिजनों ने निजी वाहन का सहारा लिया और महिला को निजी अस्पताल पहुंचाया। होली (10 मार्च) की रात की रात की यह घटना सरकारी दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। जानकारी के अनुसार सदर निवासी 26 वर्षीय एक गर्भवती महिला को 10 मार्च की रात करीब एक बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। देखते ही देखते वह असहनीय दर्द से कराहने लगी। परिजन उसको संभालने में लग गए। इतने में आस-पड़ोस के लोग भी जमा हो गए। रात में निजी गाड़ी की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी।

पड़ोसियों ने 108 एंबुलेंस सेवा पर फोन करने की सलाह दी। एंबुलेंस के लिए फोन कर सारी परिस्थितियों की जानकारी दी तो 108 एंबुलेंस के ऑपरेटर ने वापस फोन करने की बात कही। यहां गर्भवती महिला दर्द से लगातार कराह रही थी। उसे संभालना मुश्किल हो रहा था। दूसरी ओर, 108 एंबुलेंस के ऑपरेटर की ओर से कोई जवाब नहीं मिल रहा था। थक-हारकर परिजनों ने निजी वाहन की व्यवस्था कर ली। करीब एक घंटे बाद ऑपरेटर का फोन आया। इस पर परिजनों ने बताया कि वह उसे निजी अस्पताल में ले जा रहे हैं। इस पर ऑपरेटर का कहना था कि 108 एंबुलेंस से किसी को भी निजी अस्पताल में नहीं छोड़ते हैं, हालांकि हमारे पास फिलहाल एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है।

नागपुर जिले में 40 एंबुलेंस
नागपुर जिले में 108 की 40 एंबुलेंस हैं, जो दुर्घटना आदि संकट के समय में मरीजों को सुविधाएं मुहैया कराती हैं। सबसे पहले फोन पुणे स्थित कमांड सेंटर में पहुंचता है, जहां से वह सबसे पहले घटनास्थल और घटना के विषय में जानकारी लेेते हैं। इसके बाद उस एरिया के निकटतम एंबुलेंस से संपर्क कर उसे वहां पहुंचाने का काम करते हैं। नियमानुसा इसमें अधिकतम समय आधा घंटा का लगना चाहिए।

108 एंबुलेंस को निजी अस्पताल में मरीज को छोड़ने की अनुमति नहीं
108 पर कॉल करने पर पुणे ऑपरेटर के पास फोन लगता है। तब वह मरीज के एरिया के पास वाली एंबुलेंस की उपलब्धता देखता है। जो सबसे पास एंबुलेंस होती है, उससे मरीज का फोन कनेक्ट करवाता है। इसके बाद सबसे नजदीक के सरकारी अस्पताल में मरीज को ले जाकर छोड़ता है। निजी अस्पतालों में छोड़ने के कुछ मामले आने के बाद से 108 एंबुलेंस को निजी अस्पताल में मरीज को छोड़ने पर रोक लगा दी है। हालांकि यदि मरीज की हालत ज्यादा खराब है और सरकारी अस्पताल दूर है, ऐसे में उसे निकटतम निजी अस्पताल में छोड़ सकते हैं। मरीज की स्वीकृति के बाद ही ऐसा किया जाता है। -डॉ. देवेन्द्र पातुरकर, सिविल सर्जन 
 

Created On :   12 March 2020 7:00 AM GMT

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