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Nagpur News: दसवीं कक्षा की हिंदी पुस्तक में संविधान की प्रस्तावना में त्रुटि, धर्मनिरपेक्ष की जगह पंथनिरपेक्ष शब्द

- संविधान की प्रतियों की उपलब्धता पर सवाल
- शिक्षा का अधिकार भी गलत तरीके से प्रस्तुत
- लोकभारती में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द की जगह ‘पंथनिरपेक्ष’
Nagpur News. महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्मिती व पाठ्यक्रम संशोधन मंडल द्वारा प्रकाशित दसवीं कक्षा की हिंदी पुस्तक लोकभारती में भारतीय संविधान की प्रस्तावना (उद्देशिका) एवं मूल कर्तव्यों के प्रस्तुतिकरण में गंभीर त्रुटियां सामने आई हैं। यह पुस्तक वर्ष 2023 में पांचवीं बार पुनर्मुद्रित की गई थी। उसमें संविधान से संबंधित कई मूलभूत शब्दों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। बहुजन समाज पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश मीडिया प्रभारी उत्तम शेवडे ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द की जगह ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘श्रद्धा’ की जगह ‘धर्म’, तथा ‘स्वतः प्रत अर्पण’ की जगह ‘आत्मार्पित’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा ‘26 नवंबर 1949’ की तिथि के आगे "(मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) जोड़ना भी अनावश्यक बताया गया है।
मूल कर्तव्यों में भी विकृति
उक्त पुस्तक के प्रथम पृष्ठ पर संविधान के भाग चार(क) में उल्लिखित मूल कर्तव्यों में भी त्रुटियाँ सामने आई हैं। विशेष रूप से ‘समता’ की जगह ‘समरसता' शब्द का प्रयोग किया गया है, जो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा आमतौर पर उपयोग किया जाता है। शब्द बदलकर सामाजिक न्याय की मूल भावना को कमजोर करने की कोशिश की गई है।
निःशुल्क संविधान प्रतियों की मांग
बसपा नेता ने माँग की है कि संविधान की लाखों प्रतियाँ स्कूलों और सरकारी कार्यालयों में निःशुल्क या नाममात्र मूल्य पर उपलब्ध कराई जाएँ ताकि नागरिकों को संविधान की सच्ची जानकारी प्राप्त हो सके।
शिक्षा का अधिकार भी गलत तरीके से प्रस्तुत : पुस्तक में 86वें संविधान संशोधन (1 अप्रैल 2010) के तहत लागू ‘राइट टू एजुकेशन’ (शिक्षा का अधिकार) को भी गलत रूप में बताया गया है। उसमें यह कहा गया है कि 6 से 14 वर्ष के बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी माता-पिता की है, जबकि वास्तव में यह जिम्मेदारी शासन की होनी चाहिए।
संविधान की प्रतियों की उपलब्धता पर सवाल : शेवडे ने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगाँठ के बावजूद सरकार द्वारा कोई ठोस उपक्रम नहीं किया गया है। वर्ष 2014 के बाद संविधान की कोई नई प्रति प्रकाशित नहीं की गई है। 2024 का आवरण लगाकर पुरानी प्रति ही दोबारा प्रकाशित की गई है, जिसमें केवल 14वें संशोधन तक की जानकारी है।
Created On :   24 Jun 2025 7:29 PM IST