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Nagpur News: अनंत का पंच , बहरीन में कांस्य, अब सेनेगल की बारी

Nagpur News बहरीन में आयोजित एशियन यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जबर्दस्त प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम करने वाले भिलगांव के युवा मुक्केबाज अनंत देशमुख ने अपने अगले लक्ष्य की तैयारी शुरू की दी है। अनंत अगले वर्ष सेनेगल में होने वाले यूथ ओलिंपिक की मुक्केबाजी में देश के लिए पदक जीतना चाहते हैं। एक सफल प्रतियोगिता के बाद नागपुर लौटे अनंत का सुबह रेलवे स्टेशन पर क्रीड़ा प्रेमियों ने जोरदार स्वागत किया।
धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता हूं : प्रेस से बातचीत में अनंत ने कहा कि ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना निश्चित ही मुख्य लक्ष्य है। मैं पूरी तैयारी के साथ धीरे-धीरे अागे बढ़ना चाहता हूं। कामठी तालुका के इस युवा मुक्केबाज ने एशियन यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप के 66 किलोग्राम वजन वर्ग में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर नागपुर जिले का नाम रोशन किया है। बहरीन में आयोजित स्पर्धा अनंत की तीसरी अंतरराष्ट्रीय भागीदारी रही, जिसमें उन्होंने पहला अंतरराष्ट्रीय पदक अपने नाम किया।
युवा कड़ी मेहनत कर रहे : अनंत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के मुक्केबाजों की मुख्य प्रतिद्वंद्विता इस समय उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान से ही है। युवा कड़ी मेहनत कर रहे हैं। आने वाले दिनों में निश्चित ही हम उन्हें शिकस्त देने की स्थिति में होंगे। बहरीन में बढ़िया शुरुआत के बाद अनंत को सेमीफाइनल में शिकस्त झेलनी पड़ी। उन्होंने कहा कि मुझे आक्रामकता की कमी का खामियाजा भुगतना पड़ा। हार का सबक मेरे आगे के सफर को आसान बनाएगा।
नागपुर में कोच अच्छे, सेंटर नही : बेहतर कोचिंग सेंटर के अभाव में उपराजधानी के प्रतिभावान युवा मुक्केबाजों को औरंगाबाद या फिर पुणे में कोचिंग के लिए शिफ्ट होना पड़ता है। खुद अनंत दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल में कोचिंग और शिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। अनंत ने कहा कि नागपुर में विश्व स्तरीय कोच जरूर हैं, लेकिन बढ़िया सेटऑप वाला कोचिंग सेंटर नहीं है। अगर यहां सारी सुविधाएं मिल जाएं, तब हमारे जैसे युवाओं को दूसरे शहर में जाने की जरूरत नहीं होगी। दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल में उन्हें प्रतिदिन छह घंटे की ट्रेनिंग करनी पड़ती है। इसके अलावा आहार, वजन प्रबंधन का भी विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
अनंत को लेफ्टी होने का फायदा : नागपुर के मुक्केबाजी कोच गणेश पुरोहित ने अनंत को बेहत प्रतिभावान युवा मुक्केबाज करार दिया है। उन्होंने कहा कि एक मुक्केबाज के लिए ऊंचाई और लेफ्टी होना फायदा पहुंचाता है। अनंत के पास किस्मत से दोनों है। लेफ्टी होने के कारण अनंत के पास प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज पर हमेशा ही एक रणनीतिक बढ़त रहती है।
छह वर्ष की आयु में बनी रूचि : वर्ष 2015 में महज छह वर्ष की आयु में पिता गौरीशंकर देशमुख के साथ नागपुर में मुक्केबाजी को लेकर आयोजित किसी कार्यक्रम में आए अनंत को इस खेल ने प्रभावित कर दिया। छोटे से बालक ने मुक्केबाज बनने का निर्णय किया। परिवार ने भी उसका पूरा साथ दिया। प्रेस से बातचीत के दौरान पिता गौरीशंकर देशमुख, कोच गणेश पुरोहित, अविभावक प्रदीप सिंह, मिलिंद सावले आदि उपस्थित थे।
Created On :   6 Nov 2025 12:36 PM IST















