Nagpur News: राज्य की जेलों में जेलरों के 250 पद खाली, सालों से पदोन्नति का इंतजार

राज्य की जेलों में जेलरों के 250 पद खाली, सालों से पदोन्नति का इंतजार
  • जेलर नहीं बन सके हवलदार
  • कई जवान ग्रेज्युएट और पोस्ट ग्रेज्युएट, पर मौका ही नहीं मिल रहा
  • नागपुर कारागृह में 26 पद खाली, 4 के भरोसे कामकाज

Nagpur News अभय यादव . राज्य की जेलों में कर्मचारियों की कमी के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। कई जेलों में जेलर के पद खाली पड़े हैं। सूत्रों के अनुसार राज्य की जेलों में 250 से अधिक जेलर के पद खाली पड़े हैं, जिसमें नागपुर की सेंट्रल जेल में ही जेलर के 30 पद मंजूर हैं, लेकिन सिर्फ 4 जेलर के भराेसे पर वरिष्ठ अधिकारी जेल की कमान संभाल रहे हैं। 26 पद अभी भी रिक्त हैं। अधिकांश जेलों में गैज्युएट और पोस्ट ग्रैज्युएट जवान, बस सिपाही और हवलदार ही बनकर रह गए हैं, जबकि वह यह सोचकर आए थे कि, एक दशक की नौकरी करने के बाद वे पुलिस निरीक्षक यानी जेलर बन जाएंगे, लेकिन उनका यह सपना चकनाचूर हो चुका है, क्योंकि, कई जवान अब सेवानिवृत्त की उम्र में पहुंच गए हैं। कुछ वरिष्ठता सूची से बाहर हो चुके हैं।

1500 कैदियों का अधिभार 4 कर्मचारियों पर : यही कारण है कि, कई बार कैदियों को न्यायालयों में पेश करने में देरी होती है। ऐसा नहीं है कि, जेलर के लिए नए पद की भर्ती करनी जरूरी है। जेल में कई ऐसे सिपाही, हवलदार और पीएसआई हैं, जिन्हें पदोन्नति देकर जेलर बनाया जा सकता है। करीब एक दशक से राज्य की कई जेलों में कार्यरत पुलिस जवान, जेलर बनने का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से कई जवानों का सपना लगता है अधूरा ही रहेगा, क्योंकि कई जवान अब सेवानिवृत्त की उम्र में पहुंच चुके हैं। कुछ जवान वरिष्ठता की सूची से बाहर हो चुके हैं। ऐसे में जेलर बनने का इनका ख्वाब चकनाचूर होते नजर आ रहे हैं। महाराष्ट्र जेल विभाग में विभिन्न पदों (क्लर्क, वरिष्ठ क्लर्क, स्टेनोग्राफर आदि) के लिए हाल ही में 255 रिक्तियों पर भर्ती अधिसूचना जारी की गई है। नागपुर सेंट्रल जेल में कर्मचारियों की कमी के चलते 1500 से कैदियों पर सिर्फ 4 कर्मचारियों पर काम का अधिभार है।

जेल डायरी या बैरक की पहरेदारी कर रहे : अधिकांश जेलों में गैज्युएट और पोस्ट ग्रैज्यूएट जवान, बस सिपाही और हवलदार ही बनकर रह गए हैं, जबकि वह यह सोचकर आए थे कि, एक दशक की नौकरी करने के बाद व पुलिस निरीक्षक यानी जेलर बनकर जेल में अधिकारी की भूमिका निभाएंगे। उनका यह सपना चकनाचूर हो चुका है, जो सिपाही के रूप में भर्ती हुए थे, उनमें से अधिकांश सिपाही या हवलदार ही बनकर रह गए हैं। वह जेल डायरियां या फिर कैदियों के बैरक की पहरेदारी कर रहे हैं। वह कहते हैं कि, अब वह जाएं भी तो जाएं कहां?, जबकि राज्य की कई जेलों में जेलर ही नहीं है, इन्हें अगर पदोन्नति दे दी जाए, तो यह जेलर बनने के लिए योग्य हैं।

इस तरह कमी हो सकती है पूरी : जेल के वरिष्ठ अधिकारी भी चाहते हैं कि, ऐसे जेल के सिपाहियों और हवलदारों को जेलर बना देने पर उन्हें जेल का अधिकारी मिल जाएगा। उनकी जगह पर दूसरे कर्मचारी जो सिपाही हैं, उन्हें हवलदार और जो हवलदार हैं, उन्हें पीएसआई बना दिया जाए, जो एएसआई हैं उन्हें पीआई बना देने पर जेलर की कमी पूरी हो जाएगी, क्योंकि पीआई ही जेल में जेलर होता है।


Created On :   5 Nov 2025 1:32 PM IST

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