Nagpur News: ‘बेटी पढ़ी, पर बची नहीं’ फलकों में उमड़ी पीड़ा , विरोध प्रदर्शन

‘बेटी पढ़ी, पर बची नहीं’ फलकों में उमड़ी पीड़ा , विरोध प्रदर्शन
मेडिकल से निकली रैली, मार्ड का विरोध प्रदर्शन

Nagpur News चिकित्सा अधिकारी डॉ. संपदा मुंडे मृत्यु प्रकरण में मार्ड ने न्याय की मांग की है। संदेहास्पद स्थिति में मृत्यु होने से मामले की जांच व दोषियों पर तत्काल कार्रवाई की मांग को लेकर पिछले चार दिन से मार्ड के डॉक्टर्स विविध तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार से नागपुर के सरकारी अस्पतालों में मार्ड से संलग्न निवासी डॉक्टरों ने ओपीडी सेवा देना बंद कर दिया है। मंगलवार को मेडिकल की ओपीडी इमारत से सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल तक एक रैली निकाली गई। रैली में डॉक्टरों के हाथों में अनेक स्लोगन लिखे फलक थे। इनमें अधिकतर फलकों पर एक स्लोगन दिखायी दिया। यह स्लोगन था ‘बेटी पढ़ी, पर बची नहीं’ रैली के दौरान नारेबाजी करते हुए डॉक्टरों ने डॉ. संपदा मृत्यु प्रकरण में दोषियों पर तत्काल कठोर कार्रवाई करने की मांग की।

आंदोलन खत्म होने की निश्चितता नही : सोमवार को मेयो के 300 व मेडिकल के 500 निवासी डॉक्टरों ने ओपीडी में सेवा नहीं दी। रोज की तुलना में निवासी डॉक्टरों की संख्या घटने से ओपीडी में आनेवाले मरीजों की जांच व उपचार में तीन गुना अधिक समय लगा। मरीजों को घंटों तक इंतजार करना पड़ा। डॉक्टरों की कमी के कारण विभागों में वरिष्ठ डॉक्टरों ने जिम्मेदारी संभाली। उन्हें अलर्ट मोड पर रखा गया है। डॉक्टरों की संख्या कम होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। मंगलवार को भी यही स्थिति बनी रही। निवासी डॉक्टर्स नहीं होने से मरीजों की हिस्ट्री लेना, जांच करना, दवा लिखकर देना आदि काम वरिष्ठ डॉक्टरों को करना पड़ा। इस कारण समय अधिक लगता रहा और ओपीडी कक्ष के सामने मरीजों की भीड़ लगी रही। आंदोलन कब तक चलेगा, यह अभी निश्चित नहीं है।

संकट की स्थिति पैदा होगी तो सरकार जिम्मेदार दोनों अस्पतालों में कैज्युअल्टी और आपात सेवा शुरु थी। यहां निवासी डॉक्टर सेवारत थे। इसलिए तत्काल व गंभीर मरीजों के उपचार में कोई बाधा नहीं आयी। सेंट्रल मार्ड के महासचिव डॉ. सुयश धावणे, मेडिकल मार्ड के अध्यक्ष डॉ. धीरज सालुंके, महासचिव डॉ. अमोल धनफुले, डॉ. अंकित यादव, उपाध्यक्ष डॉ. स्वाति पटले, कोषाध्यक्ष डॉ. भूषण पाटिल आदि समेत बड़ी संख्या में निवासी डॉक्टर्स आंदोलन में शामिल थे। डॉ. धावणे ने कहा कि सभी डॉक्टर्स मरीजों की चिकित्सा सेवा के लिए समर्पित है। लेकिन डॉक्टरों की सुरक्षा भी होना जरुरी है। उनके लिए न्याय व अधिकार के लिए आवाज उठाना मार्ड की जिम्मेदारी है। इसलिए सभी डॉक्टर्स डॉ. संपदा मामले में न्याय की गुहार लगा रहे हैं। यदि आंदोलन के दौरान चिकित्सा सेवा चरमरायी या किसी प्रकार के संकट की स्थिति का सामना करना पड़ा, तो इसके लिए पूरी तरह सरकार जिम्मेदार रहेगी, ऐसा भी डॉ. धावणे ने स्पष्ट किया।


Created On :   4 Nov 2025 4:34 PM IST

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