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Nagpur News: मनपा कर्मचारी बैंक में हुई अनियमितताओं की होगी जांच

- उपनिबंधक प्रवेश शेंडे जांच अधिकारी नियुक्त
 - मनमानी और आर्थिक गड़बड़ियों की शिकायतें
 
Nagpur News योगेश चिवंडे . लंबे समय से विवादों में रहा महल स्थित नागपुर महानगरपालिका कर्मचारी सहकारी बैंक नये संकट में घिर गया है। बैंक में अनियमितता, मनमानी और आर्थिक गड़बड़ियों की शिकायतें मिलने के बाद सहकार विभाग सख्त हो गया है। लगातार मिल रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए सहकार विभाग ने बैंक पर जांच बैठा दी है। उपनिबंधक प्रवेश शेंडे को बैंक के आर्थिक व्यवहार, अनियमितता आदि के जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उपनिबंधक शेंडे ने यह जिम्मेदारी संभालते हुए गत दिनों बैंक के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पत्र लिखकर इससे अवगत कराते हुए उन्हें पत्र भेजकर शिकायतों से संबंधित मुद्दों पर अपना खुलासा करने को कहा है। फिलहाल सहकार विभाग की इस जांच से बैंक के संचालक मंडल में अफरा-तफरी का माहौल है। इसके लिए संचालक मंडल एक-दूसरे पर दोष मढ़ रहा है।
काफी समय से विवाद : पिछले काफी समय से नागपुर मनपा कर्मचारी सहकारी बैंक विवादों का सामना करना पड़ रहा है। मई में बैंक के संचालक मंडल ने अचानक सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन बंद कर दी। पेंशन करते समय बैंक के संचालक मंडल पर अपने ही 1969 के प्रस्ताव और नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा था। पेंशन बंद होने से अनेक सेवानिवृत्त कर्मचारियों के जीवन का आधार छीन गया था। इसे कोर्ट में चुनौती दी गई। तत्पश्चात बैंक ने इसका अध्ययन करने एक आयोग का गठन किया था। इसके बाद अनेक प्रकरण सामने आते रहे। इस बीच बैंक के 8 संचालकों ने सहकार विभाग को जिला उपनिबंधक को पत्र लिखकर बैंक में चल रही अनियमितता और मनमानी सहित आर्थिक गड़बड़ियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। पत्र में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, बैंक ने कर्मचारियों के भविष्य निर्वाह निधि की रकम, संचालक मंडल को अंधेरे में रखकर कर्ज के रूप में बांट दी है। इन अनियमितताओं और घोटालों की जांच करने की मांग करते हुए कहा कि, बैंक में विरोध को अनदेखा किया जाता है। इन सभी का विरोध दर्ज कर इसकी समय-समय पर सहकार विभाग को इसकी जानकारी दी गई है। इस पत्र से संचालक मंडल में भारी उठापटक देखी गई थी।
आरबीआई नियमों का पालन नहीं : 8 संचालकों द्वारा लिखे गये पत्र में अनेक गंभीर मुद्दे उठाए गए थे। आरोप है कि सभा के गलत मिनट्स (कार्यवृतांत) लिखे जाते हैं। हम जिन विषयों का विरोध करते हैं, उसका उल्लेख नहीं होता है। सभा के नोटिस के साथ बैंक समय-समय पर रिजर्व बैंक और सहकार विभाग के निर्गमित परिपत्रक भी नहीं जोड़ता है। रिजर्व बैंक की सूचनाओं का भी पालन नहीं होता। आरबीआई ने कुछ प्रावधान करने और प्रशासकीय खर्च कम करने की सूचना की, लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। बैंक में कर्मचारी पदोन्नति, कर्मचारियों का एरियर्स और शासन ने अक्टूबर 2024 में उपदान की रकम मर्यादा 20 लाख मंजूर की, लेकिन पूर्व अध्यक्ष ने संचालक मंडल की मंजूरी न लेते हुए शासन निर्णय से पहले जुलाई 2024 में इसे मंजूर कर लिया। पत्र में बैंक के सीईओ मनीष बोडखे जब से नियुक्त हुए थे, तब से सहकार कानून व नियमों का उल्लंघन शुरू था। उन्हें 29 मई 2025 को निलंबित किया गया। ऐसे में उनके कार्यकाल की संपूर्ण जांच सहकार विभाग करने की भी मांग की गई थी। ऐसी अनगिनत शिकायतों के बाद आखिरकार सहकार विभाग ने मनपा कर्मचारी बैंक में अनियमितताओं की जांच करने का निर्णय लिया है।
जवाब देने से बचते रहे : सहकार विभाग के इस पत्र पर मनपा कर्मचारी सहकारी बैंक के सीईओ मनीष बोडखे से प्रतिक्रिया जाननी चाही तो वे इस मामले में टालमटोल करते दिखे। पहले तो टालते दिखे, बाद में कहा कि सहकार विभाग को अधिकार है कि वे किसी की भी जांच करा सकते है। बैंक के अध्यक्ष गोविंद दावडे ने इस मामले में कार्यालय में आकर जवाब लेने को कहा।
Created On :   4 Nov 2025 12:43 PM IST















