Nagpur News j: जेल के एक तालाब का अस्तित्व खत्म, 3 में पाली जा रहीं मछलियां

जेल के एक तालाब का अस्तित्व खत्म, 3 में पाली जा रहीं मछलियां
सालाना 50 हजार रुपए किराए पर दिल्ली के मछलीमार संगठन के मार्फत दिए ठेके

Nagpur News अभय यादव . सेंट्रल जेल परिसर में कभी चार तालाब हुआ करते थे। इनमें से अब एक तालाब का अस्तित्व मेट्रो परियोजना के चलते खत्म हो गया है। कभी इन चारों तालाबाें के पानी से जेल में खेती होती थी।

दो दशक पहले इन तालाबों में मछली पालन होता था, लेकिन एक दशक से यह बंद था। मेट्रो परियोजना, फाेरेंसिक लैब, रामकृष्णमठ में कुछ जमीन चली जाने के कारण अब करीब 118 एकड़ जमीन ही जेल प्रशासन के पास बची है। कभी 200 एकड़ में फैली नागपुर सेंट्रल जेल की जमीन पर सिंचाई विभाग का कार्यालय भी शुरू है।

सूत्रों का कहना है कि, मेट्रो रेल परियोजना के लिए दी जाने वाली जमीन के बदले मुआवजे के तौर पर जेल के चारों ओर ऐसी ऊंची सुरक्षा दीवार खड़ी की जाए, ताकि मेट्रो से सफर करने वालों को जेल के अंदर का दृश्य नजर नहीं आए। इसके अलावा कृपलानी चौक से लेकर अजनी रेलवे स्टेशन और कृपलानी चौक से लेकर अजनी चौक तक जेल की सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षा घेरे वाली दीवार बनाने का वाद किया गया था, लेकिन न तो सुरक्षा दीवार बनी और न ही जेल प्रशासन को करोड़ों का मुआवजा मिला। ऐसे में सवाल उठा रहा है कि, आखिर मुआवजा गया कहां?

रकम वेलफेयर फंड में जमा : होगी : सूत्रों के अनुसार जेल परिसर में एक दशक से बंद पड़े इन तालाबों में से 3 तालाब 50 हजार रुपए सालाना किराए पर मछली पालन के लिए दिए गए हैं। तीन साल के लिए यह ठेका दिया गया है। तीन माह पहले जेल अधीक्षक वैभव आगे के मार्गदर्शन में टेंडर जारी करने की प्रक्रिया पूरी कर इसे दिल्ली के एक मछलीमार संगठन के मार्फत मछली पालन के लिए इन तीनों तालाबों को किराए पर दिया गया है। मछली पालन से मिलने वाली रकम जेल के वेलफेयर फंड में जमा होगी, जिसका फायदा जेल प्रशासन को हो सकता है, जबकि यह तालाब लंबे समय से बंद पड़े थे।

मेट्रो परियोजना के कारण मिट्टी से पाट दिया : इन तालाबों में पानी का खुद ही स्रोत था। बारह माह तालाबों में पानी रहता था। सूत्र बताते हैं कि, इनमें से अपना अस्तित्व खो चुके एक तालाब के पानी के स्वयं स्रोत का कोई पर्यायी इंतजाम नहीं करने से बारिश के मौसम में जल स्तर बढ़ जाता है, तब कृपलानी चौक से अजनी रेलवे स्टेशन मार्ग पर बने मेट्रो रेलवे के नीचे सड़कों पर पानी जमा हो जाता है। मेट्रो परियोजना का काम तो हो गया, लेकिन इन चार तालाबों में से एक ने अपना अस्तित्व हमेशा के लिए खो दिया है, क्योंकि इस तालाब की जगह पर बीच से मेट्रो रेल के नीचे सड़क बनाकर तालाब की जगह को मिट्टी डालकर पाट दिया। अब जेल प्रशासन के पास केवल तीन ही तालाब है, जो आगे के के प्रयासों से आय का जरिया बन गए हैं।

निधि अभाव में अटका सुरक्षा दीवार का काम : सेंट्रल जेल के बाहर सडक से सटी सुरक्षा दीवार बनाने का काम सार्वजनिक लोकनिर्माण कार्य विभाग ने शुरू किया था। सूत्र बताते हैं कि, निधि अभाव में सुरक्षा दीवार का काम भी अटक गया है। यह काम कब तक शुरू होगा, कहना मुश्किल है। सूत्रों का कहना है कि, सेंट्रल जेल में 9 उपक्रम शुरू है, जिसमें कारखाना, वाशिंग सेंटर, सिलाई से लेकर अन्य शामिल है। यह भी आर्थिक आय के स्रोत माने जाते हैं।

तीन माह पहले दिया है ठेका : जेल परिसर में तीन तालाबों काे तीन माह पहले ही मछली पालन के लिए ठेके पर दिया गया है। इसके लिए 50 हजार रुपए सालाना किराया लिया जाएगा। ठेका करीब 3 साल के लिए दिया गया है। -वैभव आगे, प्रभारी जेल उपमहानिरीक्षक, विदर्भ व जेल अधीक्षक, सेंट्रल जेल नागपुर


Created On :   4 Nov 2025 1:25 PM IST

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