Satna News: 3 करोड़ की नकदी के साथ 4 किलो सोना चोरी के मामले में सतना की सेशन कोर्ट का फैसला निरस्त

3 करोड़ की नकदी के साथ 4 किलो सोना चोरी के मामले में सतना की सेशन कोर्ट का फैसला निरस्त
  • एमपी हाईकोर्ट का अहम फैसला, चोरी की जब्त संपत्ति पर आयकर विभाग नहीं कर सकता दावा
  • हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट को आवेदक का आवेदन स्वीकार करने को कहा है।
  • आयकर विभाग उक्त जब्त संपत्ति पर कब्जा करने का दावा नहीं कर सकता है।

Satna News: 3 करोड़ की नकदी के साथ 4 किलो सोना चोरी की जब्ती से जुड़े बहुचर्चित मामले में सतना की सेशन कोर्ट का फैसला निरस्त करते हुए एमपी हाईकोर्ट ने कहा कि किसी आपराधिक मामले में यदि पुलिस द्वारा अभियुक्त से कोई चोरी की गई संपत्ति जब्त की जाती है, तो आयकर विभाग उक्त जब्त संपत्ति पर कब्जा करने का दावा नहीं कर सकता है।

जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने कहा कि आयकर विभाग अधिनियम 1961 की धारा 132 ए के तहत नोटिस जारी करके अलग से कार्रवाई कर सकता है, लेकिन ये कार्रवाई भी अदालत का निर्णय आने के बाद ही शुरू की जा सकती है। इस मत के साथ हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट सतना के उस फैसले को भी निरस्त कर दिया जिसमें आवेदक को उसकी चोरी गई संपत्ति वापस करने से इंकार कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट को आवेदक का आवेदन स्वीकार करने को कहा है।

आईटी ने मांगी थी जब्ती

यहां के श्रवण पाठक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस द्वारा चोरों से जब्त की गई अपनी संपत्ति वापस मांगी थी। उन्होंने सेशन कोर्ट से उस निर्णय को भी चुनौती दी थी जिसके तहत उन्हें संपत्ति लौटाने से इंकार कर दिया गया था। उल्लेखनीय है वर्ष 2021 की 24 मार्च को श्रवण पाठक ने कोलगवां थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी उनके खेतों में बने घर से 3 करोड़ का कैश और 4 किलो सोना चोरी हो गया है।

पुलिस ने चोरों को पकड़ा और उनके पास से सोना और कैश बरामद किया। इसी संपत्ति की वापसी के लिए सेशन कोर्ट में दावा पेश किया गया था मगर आयकर विभाग ने कोर्ट में आवेदन पेश कर आपत्ति दर्ज कराई थी। आयकर के सहायक संचालक ने ट्रायल कोर्ट में पत्र पेश कर चोरी की जब्त संपत्ति विभाग को सौंपे जाने की मांग की थी। दलील थी कि आवेदक इतनी बड़ी राशि और सोना अपने घर में रख सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचाई है।

साक्ष्य समझने में अदालत विफल

हाई कोर्ट ने कहा कि आवेदक ने उक्त जब्त की गई वस्तुओं पर अपने स्वामित्व के दस्तावेज संलग्न किए थे। ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड से पता चलता है कि जब्त की गई वस्तुओं पर मालिकाना हक का दावा करते हुए आवेदक ने न केवल तहसीलदार द्वारा जारी प्रमाण- पत्र दाखिल किया बल्कि उसके अन्य प्रासंगिक दस्तावेज भी दाखिल किए हैं। ट्रायल कोर्ट इस प्रमाण को समझने में विफल रही।

ट्रायल कोर्ट ने आयकर विभाग द्वारा उठाई गई आपत्ति के आधार पर आवेदक द्वारा प्रस्तुत आवेदन को खारिज कर दिया जो कि उसे नहीं करना चाहिए था। यह देखना न्यायालय का कर्तव्य है कि जब्त की गई वस्तुओं पर कब्जे का दावा करने वाला व्यक्ति अपने स्वामित्व के ठोस सबूत पेश करके कोर्ट को संतुष्ट करता है या नहीं।

Created On :   18 Jun 2025 8:21 AM

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