देवी की पूजा से ग्रहों के दोष व परेशानियां होंगी दूर, जानें विधि

Dasha Mata Puja 2022: know importance of this day and worship method
देवी की पूजा से ग्रहों के दोष व परेशानियां होंगी दूर, जानें विधि
दशा माता पूजा देवी की पूजा से ग्रहों के दोष व परेशानियां होंगी दूर, जानें विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशामाता का व्रत रखा जाता है। इस बार यह व्रत 27 मार्च 2022 रविवार को किया जाएगा। यह व्रत उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में किया जाता है। पश्चिम भारत के गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों के भी अनेक भागों में करने की परंपरा है। इस दिन महिलाएं दशामाता का व्रत करती हैं। दशमाता व्रत मुख्यरूप से घर की दशा ठीक होने के लिए किया जाता है।

माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं, लेकिन जब यह प्रतिकूल होती है तब मनुष्य को बहुत परेशानी होती है, इन्हीं परेशानियों से निजात पाने के लिए इस व्रत को करने की मान्यता है। आइए जानते हैं दशामाता की पूजा का मुहूर्त और विधि के बारे में...

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मुहूर्त
इस बार दशामाता के व्रत के दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। यह योग 27 मार्च रविवार को सुबह 6.28 से लेकिन दोपहर 1.32 बजे तक रहेगा। इस समयकाल में दशामाता का पूजन सर्व कार्यो में सिद्धि प्रदान करेगा।

दशा माता पूजन विधि
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें। पूजा करते समय दीवार पर स्वास्तिक बनाएं एवं मेहंदी अथवा सिंदूर से वही दस बिंदिया अंगुली से बना दें। पूजा सामग्री में रोली, मौली, सुपारी, चावल, दीप, नैवेद्य, धुप, अगरबत्ती लें। इस दिन महिलाएं कच्चे सूत का डोरा लाकर डोरे की कहानी कहती हैं। इसके लिए सूत का बना श्वेत धागा लें और उसमे गांठ लगा लें, इसके बाद उसे हल्दी में रंग लें। इस धागे को दशा माता की बेल कहते हैं। इसकी पूजा भी साथ में ही करें और डोरे में 10 गांठ लगाकर गले में बांध लें। इसे फिर पुरे साल कभी न उतारे। अगले वर्ष जब पुनः पूजा करें तो इसे उतारकर नए धागे की पूजा करके धारण करें।

महिलाएं पीपल की पूजा कर 10 बार पीपल की परिक्रमा करते हुए उस पर सूत लपेटती हैं नियमानुसार दशा माता की पूजा  एवं अर्चना करने से दशा माता की कृपा प्राप्त होती है। घर में सुख शांति व समृद्धि आती है। इस दिन कच्चे सूत का 10 तार का डोरा से भी पीपल की पूजा करती हैं। सुहागिन महिलाएं इस डोरे की पूजा के बाद पूजनस्थल पर नल-दमयंती की कथा सुनती हैं। इसके बाद महिलाएं अपने घरों पर हल्दी और कुमकुम के छापे लगाती हैं। 

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व्रती इस दिन में एक ही बार अन्न ग्रहण करती हैं। जिसमें एक ही प्रकार के अन्न के प्रयोग का विधान है। भोजन में नमक का प्रयोग पूर्ण रूप से वर्जित माना जाता है। इस दिन प्रयोग किए जाने वाले अन्न में गेहूं का प्रयोग विशेष तौर पर किया जाता है। इस दिन घर की साफ-सफाई के लिए झाडू खरीदने का विधान है। दशमाता व्रत जीवनभर किया जाता है। इस व्रत का उद्यापन नहीं किया जाता है।  


 

Created On :   26 March 2022 5:39 PM IST

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