Pahalgam Attack: इस्लाम में क्या होता है कलमा? जिसके बारे में पूछने के बाद आतंकवादियों ने 28 लोगों को उतार दिया मौत के घाट

इस्लाम में क्या होता है कलमा? जिसके बारे में पूछने के बाद आतंकवादियों ने 28 लोगों को उतार दिया मौत के घाट
  • पहलगाम में 28 लोगों को आतंकियों ने मारा
  • मामले को लेकर सियासत तेज
  • कलमा नहीं पढ़ने पर उतारा गया मौत के घाट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जहां आतंकियों ने घूमने आए प्रवासियों से उनका धर्म पूछकर उन्हें कलमा पढ़ने के लिए कहा। जो लोग कलमा नहीं पढ़ पाए, आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी। इस घटना में 28 लोगों को हत्या की गई और कई लोग घायल भी हो गए। अब इस भयावह घटना के बाद कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि इस्लाम में 'कलमा' का क्या मतलब होता हैं और क्या होते हैं मुसलमानों के लिए कलमों के मायने? साथ ही, ये भी जानेंगे कि क्या किसी को जबरन कलमा पढ़वाना सही है?

मुसलमानों के लिए कलमों के मायने

जब इस्लाम धर्म की स्थापना हुई थी, तब इसके पांच स्तंभ बनाएं गए थे- कलमा, नमाज, रोजा, जकात और हज। जिनमें से कलमा इस्लाम का पहला सिद्धांत है। कलमा का मतलब होता है 'गवाही' या 'शपथ' । कलमें इस्लाम के मूल सिद्धांतों को संक्षेप में व्यक्त करता है।

इस्लाम के मुख्य 6 कलमें होते हैं, जो हर मुसलमान को याद करना जरूरी होता है। ये कलमे हैं-

1. कलमा तैय्यिबा

"ला इलाहा इल्लल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह"

मतलब- अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं।यह इस्लाम में प्रवेश के लिए कहा जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण कलमा माना गया है।

2. कलमा शहादत

"अशहदु अल्ला-इलाहा इल्लल्लाहु वहदहू ला शरीक लहू, व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दूहू व रसूलुहू"

मतलब- मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, वह अकेला है उसका कोई साझेदार नहीं और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद सल्ललाहु अलैहिवसल्लम उसके बंदे और रसूल हैं।

3. कलमा तम्जीद

"सुब्हानल्लाहि वल्हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर, वला हौला वला क़ूव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीय्यिल अजीम"

मतलब- अल्लाह पवित्र है, सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, अल्लाह सबसे महान है।

4. कलमा तौहीद

"ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहू ला शरीक लहू, लहूल मुल्कु व लहूल हम्दु, युहयी व युमीतु, वहुवा हय्युन ला यमूतु अबदन अबदा, ज़ूल जलाали वल इकराम, बियदिहिल खैरु, वहुवा अला कुल्लि शयइन क़दीर"

मतलब- अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझेदार नहीं। उसी की बादशाहत है और सारी प्रशंसा भी उसी के लिए है। वही जीवन देता है और वही मृत्यु देता है। वह सदा जीवित है और कभी नहीं मरेगा। वह सम्मान और महिमा वाला है। उसी के हाथ में हर भलाई है, और वह हर चीज़ पर पूरी तरह सक्षम है।यह कलमा एकेश्वरवाद को दर्शाता है और अल्लाह की विशेषता को वर्णित करता है।इसमें अल्लाह की शक्ति और अकेले उसके पूज्य होने का वर्णन होता है।

5. कलमा इस्तिगफार

"अस्तगफिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्ली जम्बिन अज्नब्तुहू अमदन अव खतआन, सिर्रन अव अलानिय्यतन व अतूबु इलैह"

मतलब- मैं अल्लाह से अपने हर छोटे-बड़े, जानबूझकर या अनजाने में किए गए पापों की माफ़ी माँगता हूँ।

6. कलमा रद्दे कुफ्र

"अल्लाहुम्मा इन्नी ऊज़ुबिका मिन अन उशरिका बिका शय-अन व अना आलमु बिही व अस्ताग्फिरुका लिमा ला आलमु बिही तुब्तु अन्हु व तबर्रअतू मिनल कुफरी वश शिरकी वल किज्बी वल गीबती वल बिदअति वन नमीमति वल फवाहिशी वल बुहतानी वल मआसी कुल्लिहा व अस्लमतु व अकूलू ला इलाहा इल्ललाहू मुहम्मदुर रसूलुललाह"

मतलब- यह कलमा इस्लाम से इन्कार करने वाले विचारों से तौबा करने और उन्हें अस्वीकार करने का ऐलान है। इस्लाम में कलमा क्यों महत्वपूर्ण है यह इस्लाम की नींव है।

क्या जबरन कलमा पढ़वाना और दूसरे धर्म के लोगों की हत्या करना इस्लाम में जायज हैं?

इस्लामिक धर्मगुरुओं के मुताबिक, किसी को जबरन कलमा पढ़वाकर, उसे इस्लाम में दाखिल करवाने की कोशिश करना गुनाह है। इस्लामिक आयतों से साबित होता है कि किसी भी व्यक्ति को जोर जबरदस्ती, धोखेबाजी या बहला-फुसलाकर इस्लाम कुबूल नहीं करवाया जा सकता है।

इसके अलावा कुरान में सीधे तौर पर लिखा गया है कि किसी को जान बूझकर मारना एक गुनाह है। इसकी सजा नर्क है। इसलिए जो भी लोग इस्लाम के नाम पर निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं वो इस्लाम की नजर में गुनहगार माने जाएंगे।

बता दें कि, कलमा में यह भी नहीं लिखा गया है कि जिसे कलमा पढ़ना नहीं आता है, उसे गोली मार दो। ये केवल आतंकवादियों की मंशा भारत को कमजोर करने की है।

Created On :   23 April 2025 7:06 PM IST

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