सभी तीर्थों के दर्शन का फल प्रदान करता है सीताष्टमी व्रत

By keeping one fast ie Sitashtami gives benefits of all the pilgrimages
सभी तीर्थों के दर्शन का फल प्रदान करता है सीताष्टमी व्रत
सभी तीर्थों के दर्शन का फल प्रदान करता है सीताष्टमी व्रत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को सीताष्टमी पर्व मनाया जाता है, जो कि इस बार 26 फरवरी 2019 को है। इस पर्व को सीता जी का अवतरित दिवस माना गया है। ऐसे में इस दिन को सीता अष्टमी या जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों को सजाया जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और माता सीता का दर्शन कर आराधना की जाती है। पुराणों के अनुसार माता सीता का जन्म, भूमि से हुआ था, इसलिए वह अन्नपूर्णा कहलाती हैं। सीता अष्टमी का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत माता सीता जैसे गुण प्राप्त हों, इसी भाव के साथ रखा जाता है। इस व्रत को रखकर सुखद दांपत्य जीवन की कामना की जाती है।

मान्यता
मान्यता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता है और श्रीराम सीता का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे सभी तीर्थों के दर्शन का फल प्राप्त होता है। इस व्रत से सौभाग्य सुख एवं संतान की प्राप्ति होती है। इस दिन आठ सौभाग्यशाली महिलाओं को सौभाग्य की वस्तुएं भेंट करना चाहिए। इनमें लाल वस्त्र का दान अतिशुभ माना जाता है।

इसलिए नाम रखा सीता
कहा जाता है कि महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि को जोत रहे थे। उसी समय पृथ्वी से एक कन्या का प्राकट्य हुआ। हल के फल को ‘सीत’ कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम ‘सीता’ रखा गया। जनक जी की दुलारी होने के कारण उनका नाम ‘जानकी’ और मिथिलावासी होने के कारण मिथिलेश कुमारी नाम भी उन्हें प्राप्त हुआ। सीता, भूमिजा भी कहलाईं, क्योंकि राजा जनक ने उन्हें भूमि से प्राप्त किया था।

संदेश
सीता जी ने पत्नी धर्म निभाकर प्रभु राम के साथ वनवास काटा और वन में अपनी संतान का पालन-पोषण किया। साथ ही अपनी पवित्रता को सिद्ध करने के लिए अग्नी परीक्षा दी। एक आदर्श नारी का यही चरित्र परिवार को एक सूत्र में बांधता है। कुछ ऐसा ही संदेश देती है सीता अष्टमी। 

ऐसे करें व्रत
इस दिन प्रातः स्नान के बाद सीता जी की भगवान राम के साथ पूजा करें। श्रृंगार का सामान उनकी प्रतिमा को अर्पित करें। दूध व गुड़ से बने व्यंजन को दान करें और इसी व्यंजन से संध्या को पूजा करने के बाद व्रत परायण कर लें। सुखद दांपत्य जीवन की कामना रखने वाली स्त्रिओं को यह व्रत अवश्य ही करन चाहिए।

Created On :   12 Feb 2019 5:49 AM GMT

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