Som Pradosh Vrat 2025: सोम प्रदोष व्रत पर मिलेगा दो गाय के दान के बराबर पुण्य फल, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है। मार्गशीर्ष का दूसरा प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है और ऐसे में इस व्रत का सोम प्रदोष नाम से जाना जाता है। सोम प्रदोष को चन्द्र प्रदोषम भी कहा जाता है। इस बार प्रदोष व्रत 17 नवंबर 2025 को रखा जा रहा है।
चूंकि, सोमवार का दिन भोलेनाथ के लिए सबसे प्रिय और पूजा के लिए सबसे शुभ माना गया है। ऐसे में प्रदोष व्रत पर यह शुभ संयोग माना जा रहा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस शुभ दिन पर व्रत करने और विधि विधान के साथ पूजा करने से दो गाय के दान के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...
तिथि कब से कब तक
त्रयोदशी तिथि आरंभ: 17 नवंबर 2025, सोमवार की सुबह 4 बजकर 46 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समापन: 18 नवंबर 2025, मंगलवार की सुबह 7 बजकर 11 मिनट तक
पूजा विधि
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।
- इसके बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का संकल्प लें।
- घर के मंदिर की सफाई कर पूजा करें या शिवालय जाकर उपासना करें।
- आप पूरे दिन मन ही मन "ऊँ नम: शिवाय" का जप करें और निराहार रहें।
- इसके बाद प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी की पूजन करें।
- ध्यान रहे कुश के आसन पर बैठकर शिव जी की पूजा पूर्ण विधि-विधान से करें।
- "ऊँ नम: शिवाय" कहते हुए शिव जी को पतली धार से जल अर्पित करें।
- इसके बाद अपने दोनों हाथ जोड़कर शिव जी का ध्यान करें।
- सोम प्रदोष व्रत की कथा सुनें चाहिए अथवा सुनाएं।
- कथा समाप्ति के बाद हवन सामग्री मिलाकर 11, 21, 51 या 108 बार "ऊँ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा" मंत्र से आहुति दें।
- पूजा के अंत में शिव जी की आरती कर सभी भक्त जनों को आरती दें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   14 Nov 2025 7:30 PM IST














