सीबीएसई की पहल: कोलैबरेटिव लर्निंग हब बनाने की तैयारी

Cbse will create collaborative learning hub and share the facility to student
सीबीएसई की पहल: कोलैबरेटिव लर्निंग हब बनाने की तैयारी
सीबीएसई की पहल: कोलैबरेटिव लर्निंग हब बनाने की तैयारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सीबीएसई ने देशभर के स्कूलों को जोड़ने के लिए नई पहल की है। इसके लिए स्कूलों का कोलैबरेटिव लर्निंग हब बनाने जा रहा है। इसकी शुरुआत 1 जुलाई से होगी। इसके तहत देशभर के सीबीएसई से संबद्धता प्राप्त स्कूलों को इससे जोड़ जाएगा, जो अपने संसाधनों को अन्य स्कूलों के साथ साझा कर सकेंगे। इसे सीएलएच नाम दिया गया है। सीएलएच के तहत देशभर के स्कूलों को हब में बांटा जाएगा। एक हब में पांच या उससे ज्यादा स्कूल शामिल होंगे। योजना के तहत करीब 22 हजार मान्यता प्राप्त संस्थानों को 4,500 जिला हब के ग्रुपों में बांटा गया है। एक हब के अंदर आने वाले स्कूल विभिन्न गतिविधियों में एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। ये स्कूल क्षमता निर्माण में एक-दूसरे की मदद करेंगे, आपस में मिलकर संयुक्त गतिविधियां कराएंगे। इन स्कूलों के बीच आपस में शिक्षक और छात्रों के आदान प्रदान का कार्यक्रम भी होगा।

स्कूल लेंगे गांवों को गोद
सभी स्कूल हब अपने आसपास में स्थित औद्योगिक इकाइयों, कारखानों, प्रशासकीय मुख्यालयों, सुरक्षा सेवाओं, उच्च शिक्षा संस्थानों और बिजनेस हाउस से भी जुड़ेंगे, ताकि छात्र उनसे कुछ सीख सकें और जीवन एवं समाज के बारे में गहरी जानकारी हासिल कर सकें। स्कूल हब को प्रोत्साहित करने के लिए गांव को गोद लेने या बागीचा विकसित करना भी शामिल है। स्कूल हब आपस में खेलकूद की सुविधाओं, प्रयोगशालाओं, सभागारों को भी आपस में साझा करेंगे। साथ ही आपस में मिलकर प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन करने के साथ-साथ खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, विज्ञान प्रदर्शनियों और क्विज का भी आयोजन करेंगे। स्कूल हब को छात्रों के लिए कुछ अहम मामलों जैसे सुरक्षा और सलामती, ऊर्जा और जल संरक्षण, पर्यावरण के आयोजन के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा। 

यह मिलेगा फायदा 
इसका सबसे ज्यादा फायदा यह होगा कि आधारभूत ढांचा और शिक्षकों की कमी की वजह से किसी स्कूल में पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी। किसी स्कूल में अगर शिक्षक की कमी है, तो उसकी पूर्ति दूसरे स्कूल से की जा सकेगी। हर स्कूल के पास कुछ अच्छे शिक्षक होते हैं। अब इस तरह के शिक्षक अन्य स्कूलों के शिक्षकों की मदद करेंगे। साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधित जरूरतों के साथ भी होगा। वर्तमान में देशभर में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां संसाधनों का अभाव है। वहीं कुछ संस्थान ऐसे भी हैं, जिनके पास संसाधन तो हैं, लेकिन वे उनका पूरा उपयोग नहीं कर पाते हैं। ये आपस में संसाधन साझा कर एक-दूसरे के पूरक बनेंगे। 

Created On :   16 April 2019 8:57 AM GMT

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