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International Conference: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में "वर्तमान में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन की प्रगति" विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का भव्य शुभांरभ

- आज के युग में विज्ञान, तकनीक और प्रबंधन का समन्वय ग्रामीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक: डॉ. प्रमोद पाटिल
- विज्ञान, तकनीक और प्रबंधन आज की दुनिया को आकार देने वाले तीन प्रमुख स्तंभ हैं: डॉ. इस्तवान फेकेते
भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में “वर्तमान में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन की प्रगति" (ICRASTM) विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ आज विश्वविद्यालय परिसर में हुआ। इस सम्मेलन का आयोजन सोसाइटी फॉर एडवांस्ड रिसर्च इन प्लांट साइंस, नर्मदापुरम् एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. प्रमोद पाटिल, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, वनस्पति शास्त्र, भोपाल विशेष रूप से उपस्थित थे। साथ ही हंगरी से डॉ. इस्तवान फेकेते, रिसर्च मेथड्स एंड स्टैटिस्टिक्स इन साइकोलॉजी, संयुक्त अरब अमीरात से डॉ. सुहैब मलिक, ब्रिटिश इंटरनेशनल स्कूल, अजमान, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रवि प्रकाश दुबे, कुलसचिव डॉ. संगीता जौहरी, सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ. रुचिता श्रीवास्तव, एवं विज्ञान संकाय की डीन डॉ. पूर्वी भारद्वाज भी विशेष रूप से मंच पर उपस्थित रहीं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. प्रमोद पाटिल ने अपने संबोधन में कहा कि आज के युग में विज्ञान, तकनीक और प्रबंधन का समन्वय ग्रामीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ऐसे अंतरराष्ट्रीय मंच छात्रों को वैश्विक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से ही भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।
डॉ. इस्तवान फेकेते ने कहा कि विज्ञान, तकनीक और प्रबंधन आज की दुनिया को आकार देने वाले तीन प्रमुख स्तंभ हैं। इन क्षेत्रों में हो रहे नवाचार न केवल जीवन को सरल बना रहे हैं, बल्कि सतत विकास को भी दिशा दे रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ऐसे मंच हैं जहाँ विविध देशों के विशेषज्ञ एक-दूसरे से सीखते हैं और संयुक्त समाधान तलाशते हैं। मुझे विश्वास है कि भारत की युवा शक्ति वैश्विक शोध में क्रांतिकारी योगदान देने में सक्षम है।
डॉ. सुहैब मलिक ने कहा कि वैश्विक शिक्षा व्यवस्था में तकनीकी नवाचारों का समावेश अनिवार्य हो गया है। छात्रों को मल्टीडिसिप्लिनरी ज्ञान की ओर प्रेरित करना चाहिए। ऐसे सम्मेलन उन्हें वैश्विक सोच और समझ प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से उन्हें भारत की शैक्षणिक गुणवत्ता को नजदीक से जानने का अवसर मिला।
कुलपति डॉ. आर. पी. दुबे ने कहा, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय सदा से नवाचार, अनुसंधान और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता आया है। हमारा उद्देश्य छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है। उन्होंने आगे कहा कि इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, औद्योगिक विशेषज्ञों और विद्यार्थियों को एक साझा मंच प्रदान करना है, जहाँ वे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के क्षेत्र में नवीनतम नवाचारों, रुझानों, चुनौतियों और समाधानों पर विचार-विमर्श कर सकें। यह आयोजन बहुविषयक अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है और सतत व समावेशी वैश्विक विकास में सहयोग को बढ़ावा देता है।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. नीता घांगरेकर ने किया तथा सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट डॉ. पूर्वी भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत की गई। सम्मेलन में डॉ. प्रतीक निगम, डॉ. भारती सक्सेना, डॉ. विनय यादव, डॉ. रामकांत भारद्वाज, प्रोफेसर, कोलकाता, डॉ. एम. विजय कुमार, प्रोफेसर, भौतिकी, तेलंगाना एवं डॉ. हितेश खरे, प्रोफेसर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं और विश्वविद्यालय के शिक्षकगण उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन कल दिनांक 06 अगस्त को होगा। प्रथम दिन के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. प्रतीक निगम द्वारा प्रस्तुत किया गया।
Created On :   6 Aug 2025 6:04 PM IST