खालिद जावेद की द पैराडाइज ऑफ फूड ने 25 लाख रुपये का जेसीबी पुरस्कार जीता

Khalid Javeds The Paradise Of Food wins JCB prize of Rs 25 lakh
खालिद जावेद की द पैराडाइज ऑफ फूड ने 25 लाख रुपये का जेसीबी पुरस्कार जीता
नई दिल्ली खालिद जावेद की द पैराडाइज ऑफ फूड ने 25 लाख रुपये का जेसीबी पुरस्कार जीता

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रसिद्ध उर्दू उपन्यासकार खालिद जावेद की किताब द पैराडाइज ऑफ फूड ने समकालीन कथा साहित्य श्रेणी में 2022 के लिए 25 लाख रुपये का जेसीबी पुरस्कार जीता है। यह भारत का सबसे अधिक राशि वाला साहित्यिक पुरस्कार है।

जगरनॉट द्वारा प्रकाशित इस किताब को विजेता चुने जाने की घोषणा शुक्रवार को जेसीबी के चेयरमैन लॉर्ड एंथोनी बामफोर्ड ने हाइब्रिड इवेंट के दौरान की, जहां विजेता लेखक को जेसीबी इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुनील खुराना और जूरी चेयर एएस पन्नीरसेल्वन ने ट्रॉफी सौंपी।

द पैराडाइज ऑफ फूड पुरस्कार जीतने वाला चौथी अनूदित किताब है, जो पहली बार उर्दू में लिखी गई। खालिद जावेद को दिल्ली के कलाकार जोड़ी ठुकराल और तगरा द्वारा मिरर मेल्टिंग नामक एक मूर्ति पुरस्कार ट्रॉफी भी मिली। पुस्तक का चयन अमिताभ बागची, डॉ. जे. देविका, जेनिस पारिएट और राखी बलराम सहित पांच न्यायाधीशों के एक पैनल द्वारा किया गया था। जूरी के सदस्य द पैराडाइज ऑफ फूड की प्रशंसा में एकमत थे।

पन्नीरसेल्वन ने इस किताब को मानव भावना, आशा, हानि, आकांक्षाओं और चिंता का उत्सव के रूप में वर्णित किया। यह एक बेहतरीन कलात्मक उपलब्धि है, जहां सौंदर्यशास्त्र एक कठिन राजनीतिक प्रक्षेपवक्र पर बातचीत करता है जो हमारे देश को परेशान कर रहा है। जेनिस पारिएट ने कहा, यह दुर्लभ, सुंदर पुस्तक उत्कृष्ट, चौंका देने वाली किताब है, जिसमें मानवता की कुरूपता और सुंदरता, दोनों दिखाई गई है।

अमिताभ बागची ने कहा, यह विलक्षण और गतिशील पुस्तक मानव सभ्यता के दिल में हिंसा पर एक शानदार प्रकाश डालती है। भाषा में कई सुंदर और असामान्य सूत्रीकरण हैं जो लेखक और अत्यंत कुशल अनुवादक दोनों की साहित्यिक उपलब्धि हैं। एक साहित्यिक मील का पत्थर उर्दू की भव्य साहित्यिक परंपरा की एक कम प्रसिद्ध शैली में, यह काम भारत और उसके बाहर व्यापक रूप से पढ़ा जाने योग्य है।

डॉ. जे. देविका ने कहा, यह उपन्यास किताब सभ्यता के संकट की सर्दियों में बर्फ चुनने की तरह काम करता है, जिसने दक्षिण एशिया के देशों को घेर लिया है और यह उर्दू की काव्य शक्तियों को जुटाकर, मुक्ति को राष्ट्र-निर्माण से ऊपर रखकर ऐसा करता है। अनुवाद सही और प्रेरित है। राखी बालाराम ने कहा, अवर्णनीय प्रतिभा दिखाती यह किताब समकालीन भारतीय उपन्यास को फिर से परिभाषित करती है। हमारी समझ से इसमें अविस्मरणीय तरीकों से भोजन और रसोई के माध्यम से राजनीतिक प्रतिच्छेदन किया गया है।

खालिद जावेद की अब तक पंद्रह किताबें प्रकाशित हुई हैं। उन्हें कथा पुरस्कार, उपेंद्रनाथ अश्क पुरस्कार और यूपी उर्दू अकादमी पुरस्कार भी मिल चुके हैं। वह जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। अनुवादक बरन फारूकी जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। उन्होंने फैज अहमद फैज की कविताओं के संग्रह का अंग्रेजी अनुवाद किया है, जो द कलर्स ऑफ माय हार्ट शीर्षक से प्रकाशित हुई है।

(आईएएनएस)

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Created On :   20 Nov 2022 1:30 PM GMT

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