- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में...
एंटी-रैगिंग सप्ताह: जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में रैगिंग विरोधी विषय पर संगोष्ठी, हेल्दी वातावरण जरूरी

- प्रो. डॉ. धवनकर ने कहा - रैगिंग मुक्त' परिसर हमारी परंपरा
- जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग की खास परंपरा
- 12 से 18 अगस्त तक एंटी-रैगिंग सप्ताह मनाया जा रहा है
Nagpur News. जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग की परंपरा रही है कि नए विद्यार्थियों के विश्वविद्यालय परिसर में आने पर उन्हें सुखद और आनंदमय वातावरण प्रदान किया जाए और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर प्रयास किए जाएं। जनसंचार एवं पत्रकारिता के विद्यार्थियों ने आज इस परंपरा को जारी रखने का निर्णय लिया। रैगिंग केवल कानून से ही नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और छात्रों के आपसी सहयोग से खत्म होगी। प्रत्येक छात्र को यह समझना होगा कि सच्चा स्वागत दोस्ती और सम्मान से होता है, अपमान से नहीं।
विश्वविद्यालय के क्षेत्र में रैगिंग जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाने और यूजीसी नियम 2023 के अनुसार 12 से 18 अगस्त तक एंटी-रैगिंग सप्ताह मनाया जा रहा है। इस सप्ताह के अंतर्गत, सोमवार (18) को नागपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज, जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में एंटी-रैगिंग विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के प्राध्यापक डॉ. धर्मेश धवनकर, वरिष्ठ पत्रकार आनंद भिसे मंच पर उपस्थित थे।
प्रो. डॉ. धवनकर ने बताया कि रैगिंग क्या है? रैगिंग में क्या शामिल है? उन्होंने रैगिंग होने पर छात्रों को मिलने वाली सज़ा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसमें छात्रों का अपमान करना, शिष्टाचार का उल्लंघन करना, उन्हें धमकाना, उनके साथ हीन व्यवहार करना, उन्हें हिंसा के लिए उकसाना और उन्हें नुकसान पहुंचाना शामिल है।
वरिष्ठ पत्रकार आनंद भिसे ने कहा कि रैगिंग इस तरह से की जाती है कि छात्र शर्म, डर और झिझक महसूस करें। रैगिंग में छात्रों को छेड़ना और उनकी इच्छा के विरुद्ध कुछ करने के लिए मजबूर करना भी शामिल है।
प्रा. श्रुति सांगोडे ने सत्र में कहा कि आधुनिक युग में रैगिंग शब्द उत्पीड़न, धमकी, शारीरिक और यौन उत्पीड़न का एक रूप है जो वर्षों से चला आ रहा है। रैगिंग छात्र की मानसिक और भावनात्मक दुनिया को नष्ट कर देती है। परिणामस्वरूप, छात्र आत्महत्या करने का प्रयास करते हैं। सहायक प्राध्यापक डॉ. मनीषा मोहोड ने छात्रों को कॉलेज परिसर, छात्रावास या शैक्षणिक परिसर में कहीं भी रैगिंग के किसी भी मामले के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया के बारे में बताया। छात्र अमोल राठौड़ और श्रद्धा महाजन ने अपने विचार व्यक्त किए। विनय निमग़़डे ने कार्यक्रम में सहकार्य किया।
व्यापक रूप से देखें तो बड़ी परेशानी
रैगिंग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में गंभीर सामाजिक समस्या मानी गई है। इसमें सीनियर छात्र नए छात्रों के साथ मज़ाक, मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न, दबाव, अपमानजनक कार्य या हिंसा जैसी हरकतें करते हैं। यह न केवल छात्रों की पढ़ाई और आत्मविश्वास को प्रभावित करता है, बल्कि कई बार गंभीर दुर्घटनाओं और आत्महत्या जैसी दुखद घटनाओं का कारण भी बनता है। इसी को रोकने के लिए एंटी-रैगिंग कानून और अभियान चलाए गए हैं।
जानिए कानूनी प्रावधान
भारत में रैगिंग पूरी तरह प्रतिबंधित है।
• सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग को अपराध माना है और इसे रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश दिए हैं।
• यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को एंटी-रैगिंग सेल और हेल्पलाइन शुरू करने का आदेश दिया है।
• रैगिंग करने वालों के खिलाफ निलंबन, जुर्माना, कॉलेज से निष्कासन, पुलिस केस दर्ज होने जैसे दंड निर्धारित हैं।
एंटी-रैगिंग के उपाय
नए छात्रों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित करना।
जागरूकता अभियान, पोस्टर, वर्कशॉप और सेमिनार का आयोजन।
Created On :   18 Aug 2025 8:58 PM IST