पत्रकारिता विश्वविद्यालय: विवादों में घिरी एमसीयू में आतिथि प्राध्यापकों की प्रथम सूची, वेबसाइट से हटाए विज्ञापन और आवेदनफॉर्म का प्रारूप

- अतिथि प्राध्यापकों के चयन में मध्यप्रदेश शासन के नियमों की अनदेखी
- मप्र. उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार राज्य के निवासी ही आवेदन कर सकते है
- एमसीयू में बाहरी राज्यों के अतिथि प्राध्यापकों पर एक दशक से कृपा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में अतिथि प्राध्यापकों की नियुक्ति में आरक्षण नियमों की दशक से अनदेखी हो रही है। जबकि मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से साफ तौर पर निर्देशित है कि अतिथि प्राध्यापकों के चयन में शिक्षण संस्थानों को हर वर्ग को 25 फीसदी से लाभ दिया जाए। लेकिन देश के सबसे बड़े और पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय में मध्यप्रदेश शासन के नियमों को ही ताक पर रख दिया है। जबिक मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग के आदेश 05/10/2023 के नियम क्रमांक 9.1 में आरक्षण नियमों और 1.3 में अतिथि प्राध्यापकों की नियुक्ति में सिर्फ मध्यप्रदेश के निवासी ही आवेदन कर सकते है।
डॉ अभिषेक यादव ने कहा है कि आरक्षण और मध्यप्रदेश के वासियों के लिए ये लड़ाई में सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ले जाउंगा। उन्होंने आगे कहा राज्य के एक वरिष्ठ अधिवक्ता हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हमारी लड़ाई लडने के लिए तैयार है। जल्द ही पूरी भर्ती प्रक्रिया को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
विश्वविद्यालय में इंटरव्यू के दौरान जो आवेदन पत्र भराए गए थे। उसे आवेदन पत्र में कहीं भी जाति एवं मध्य प्रदेश मूल निवासी के लिए कॉलम नहीं दिया गया था। विश्वविद्यालय की सूची में चयनित अतिथि प्राध्यापक किस राज्य से है , किस जाति वर्ग से आते है। इसका भी उल्लेख नहीं किया गया है। प्रथम चयन सूची विवादों में आने की वजह से विश्व विद्यालय प्रशासन ने अपनी वेबसाइट से जारी विज्ञापन और आवेदन प्रारूप को हटा दिया गया है। यहां देखिए विज्ञापन और आवेदन फॉर्म। आवेदन फॉर्म में कहीं भी स्थानीय निवासी का कॉलम नहीं है।
डॉ अभिषेक यादव ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियों में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। विज्ञापन में मध्यप्रदेश शासन के नियमों की उपेक्षा की गई है। विज्ञापन में जो निर्धारित योग्यताएं एवं अनुभव मांगे थे। उसका पालन नहीं हुआ है। उन्होंने मध्य प्रदेश शासन से पूरी भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कराने की मांग की है। अयोग्य और गैर मध्यप्रदेश वासी को बाहर करने की मांग की है।
माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के भोपाल केंपस में 113 अतिथि शिक्षकों की चयन सूची में आरक्षित वर्ग के 20 फीसदी भी अतिथि प्राध्यापक नहीं है। यहीं हाल रीवा, खंडवा और दतिया परिसरों की सूची में है। विश्वविद्यालय के रीवा कैंपस में 27 अतिथि शिक्षकों का चयनित किया गया। जिसमें से सिर्फ 1 अतिथि शिक्षक ही आरक्षित वर्ग का है। दतिया परिसर में 07 अतिथि शिक्षकों और खंडवा परिसर में 03 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई। जिनमें एक भी आरक्षित वर्ग का नहीं है। डॉ यादव ने राज्य के मुखिया डॉ मोहन यादव ने न्याय की गुहार लगाई है।
आरक्षण नियमों और मध्यप्रदेश शासन के नियमों की जानबूझकर अनदेखी
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में अतिथि प्राध्यापकों की सूची में मध्यप्रदेश शासन और आरक्षण नियमों की जानबूझकर अनदेखी की जाती है। ताकि राज्य के एससी एसटी और ओबीसी वर्ग अतिथि प्राध्यापक न बन सके। जिससे आगामी समय में आने वाली नियमित भर्तियों में इन वर्ग के उम्मीदवार ना मिले। विश्वविद्यालय प्रमुख ने द मूकनायक समाचार एजेंसी को दिए अपने बयान में मध्यप्रदेश शासन के नियमों के पालन की बात कही है, लेकिन प्राथमिक दृष्टतया से विज्ञापन से लेकर, आवेदन फॉर्म और चयनित सूची में ये साफ नजर आ रहा है कि राज्य शासन और आरक्षण नियमों को नजर अंदाज किया गया है। प्रथम चयन सूची में मध्यप्रदेश के उन अतिथि आरक्षित प्राध्यापकों को भी बाहर किया गया है, जो सालों से पढ़ा रहे थे।
बीएसपी राज्यसभा सांसद इंजी रामजी गौतम ने राज्य शासन के नियमों की अनदेखी को लेकर मध्यप्रदेश सरकार से नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की है।
Created On :   18 Aug 2025 2:57 PM IST