कैग रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: टोल कंपनियों पर सरकार की मेहरबानी, लागत से 6 गुना वसूली के बाद भी मैंटेनेंस नहीं

टोल कंपनियों पर सरकार की मेहरबानी, लागत से 6 गुना वसूली के बाद भी मैंटेनेंस नहीं
देवास भोपाल टोल रोड पर 2020 से 2023 तक 988 दुर्घटनाएं 1171 घायल और 281 की मौत हुई। अगर मप्र के 14 टोल मार्गों की बात की जाय तो कुल 2167 लोगों ने जान गवाई है।

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में टोल कंपनियां लागत से कई गुना तक वसूली कर चुकी है। इसके बाद भी टोल वसूली की समय सीमा बढ़ा दी जाती है। भोपाल-देवास टोल प्लाजा को औसतन हर वर्ष 235 करोड़ का कलेक्शन करने के बाद भी घाटा दिखाकर 81 करोड़ का अनुदान दिया गया। जबकि देवास भोपाल टोल रोड पर 2020 से 2023 तक 988 दुर्घटनाएं 1171 घायल और 281 की मौत हुई। अगर मप्र के 14 टोल मार्गों की बात की जाय तो कुल 2167 लोगों ने जान गवाई है। वहीं 6841 लोग घायल हुए हैं। इसी तरह लेबड जावरा टोल रोड पर 862 दुर्घटनाएं 725 घायल हुए और 323 लोगों की मौत हुई। जावरा-नयागांव टोल रोड पर 1087 दुर्घटनाएं, 1193 घायल और 444 लोगों की मौत हुई। दुर्घटनाओं का आकड़ा 2025 तक का बढ़ चुका है।

भोपाल-देवास टोल प्लाजा ने जून 2022 से लेकर जून 2025 तक 689 करोड़ का कलेक्शन किया। तीन साल के अंदर औसतन हर साल 230 करोड़ का कलेक्श हुआ। 345 करोड़ की देवास - भोपाल रोड के टोल का जून 2025 तक का कलेक्शन 1889.51 करोड़ रहा। जून 2022 से जून 2025 तक, 3 साल में 705 करोड़ की वसूली हुई।‌ यानी 345 करोड़ की देवास भोपाल रोड तीन बार हजारों करोड़ों में बिक गई। देवास-भोपाल टोल रोड निविदा 426.64 करोड़ की निकाली गई थी। योजना में हानि के नाम पर 81 करोड़ का अनुदान दिया गया। तो इसकी वास्तविक लागत 345.64 करोड़ हो गई। इस टोल प्लाजा के जरिए लागत का 564.67% वसूला गया। छः गुना लाभ कंपनी को मिला। लेकिन सरकार को ₹इससे प्रीमियम नहीं मिला क्योंकि अनुबंध की धारा 22 में लिखा गया है कि अगर घाटे के लिए अनुदान मिला है तो प्रीमियम नहीं लिया जाएगा। सड़क की टोल अवधि 258 दिन बढ़ा दी गई।

अब दिसंबर 2033 तक करीब 2000 करोड़ और वसूले जाएंगे। देखा जाय तो वसूली का आकड़ा 4000 करोड़ तक जाएगा। देवास -भोपाल टोल रोड पर निवेशक जून 2025 तक घाट दिखा रहा है। लेकिन इस कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 2017 में ऑपरेटिंग प्रॉफिट 41.28 करोड़ , वर्ष 2024 में बढ़कर 194.82 करोड़ हो गया तथा 2017 में प्रति इक्विटी शेयर (10₹)आय 1641.04 रुपए से बढ़कर 2024 मे 10474.79 रुपए हो गई। कंपनी भारी लाभ में होने पर इनकम टैक्स के नियमानुसार कंपनी का 2017 में 12.42 लाख सीएस‌आर फण्ड 2024 में 14 गुना बढ़कर 1.66 करोड़ हो गया। भोपाल देवास का अनुबंध 30 जून 2007 को , जावरा नयागांव का उसके 50 दिन बाद 20 अगस्त 2007 को , तथा लेबड जावरा का अनुबंध उसके 10 दिन बाद 30 अगस्त 2007 को बनाया।

शासन ने विधानसभा में स्वीकार किया के तीनों अनुबंध पृथक पृथक है। केंद्र सरकार के आर्थिक कार्य विभाग की जून 2006 की बैठक के में राज्यों को स्पष्ट निर्देश दियाशन गया था कि मॉडल कंसेशन अनुबंध में विचलन उन मुद्दों के संबंध में स्वीकार नहीं है जो किसी पीपीपी योजना के लिए आधारभूत है। टोल रोड में टोल राशि के आधार पर ही पूरी योजना बनती है। केंद्र सरकार के निर्देश की अवहेलना कर ठेकेदार को अनावश्यक लाभ दिलाने के लिए इन तीनों अनुबंध में ठेकेदार के मनमाफिक परिवर्तन कर उनकी टोल अवधि 25 से 30 साल तय कर दी गई। जबकि वास्तव में 10 से 15 साल होना थी।

भोपाल देवास, जावरा नयागांव, तथा लेबड जावरा टाल रोड के अनुबंध मात्र 50 दिन के अंतर से बने। लेकिन तीनों अनुबंध में जमीन और आसमान का अंतर है। जबकि केंद्र सरकार को जो रिपोर्ट भेजी गई थी, उसमें लिखा गया था कि अनुबंध केंद्र द्वारा जारी मॉडल कंसेशन एग्रीमेंट के अनुसार बनाए गए हैं और इसमें कोई मेजर चेंज नहीं किया गया है।

कैग ने उजागर की टोल वसूली में अनियमितता

महालेखाकार (कैग) ने अपनी 2017-18 की रिपोर्ट में टोल रोड पर वसूली को लेकर कई गंभीर अनियमित पाई। निवेशक द्वारा बताई गई टोल आय के सत्यापन के लिए अनुबंध में विशिष्ट चैप्टर नहीं रखा गया। प्रतिदिन टोल आय राजस्व का सत्यापन करने संबंधित दस्तावेज दर्ज नहीं किए गए। टोल आय का सत्यापन करने के लिए एस्क्रो खातों की निगरानी नहीं की गई। केंद्र सरकार द्वारा जारी मॉडल कंसेशन अनुबंध के विपरीत अधिकारियों ने निवेशक के मनमाफिक अनुबंध बनाए।

ऐसे बढ़ते गया कलेक्शन

भोपाल देवास, जावरा नयागांव और लेबड जावरा मार्ग पर जून 2022 तक टोल कलेक्शन 1200.51 ,1745.00 और 1552.27 करोड़ था जून 2025 तक कलेक्शन इन तीनों रोड पर क्रमशः 1889.51, 2450.02 और 2182.80 करोड़ हो गया। भोपाल देवास रोड की लागत 345 करोड‌, जून 22 से जून 25 तक, 3 साल में कलेक्शन 689 करोड़ , औसत प्रतिवर्ष 230 करोड़, जावरा नयागांव रोड की लागत 425 करोड़ , जून 22 से जून 25 तक , 3 साल में वसूली 705 करोड़,‌ औसत प्रतिवर्ष 235 करोड़ लेबड जावरा रोड की लागत 589 करोड़ , जून 22 से जून 25 तक, 3 साल में वसूली 630 करोड़ , औसत प्रतिवर्ष 210 करोड़

इनका कहना है

अधिकारी जनता के हितों का संरक्षण करने के स्थान पर निवेशक के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने यहां तक स्पष्ट निर्देश दिया था कि कंसेशन देने के प्रकाशन और निर्धारण की प्रक्रिया में समान व्यवहार, पारदर्शिता और पारस्परिक मान्यता के मूल सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए। लेकिन उसके बाद भी तीनों टोल रोड की भौगोलिक स्थिति तथा लागत लगभग समान होने के बाद भी, केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। मामले में कोर्ट का भी रुख किया जाएगा।

Created On :   27 Oct 2025 9:53 PM IST

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