ट्रंप टैरिफ और टकराव: भारत पर 50 फीसदी टैरिफ को लेकर ट्रंप अपने ही देश में घिरे, कहा बिना किसी कूटनीतिक प्रयास के अल्टीमेटम देना कोई महानता नहीं

- केरी ने कहा पीएम मोदी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल हमारे मित्र हैं
- ट्रंप -मोदी के बीच टकराव गलत , हम इससे चिंतित-केरी
- भारत -अमेरिकी संबंधों में तनाव बेहद दुर्भाग्यपूर्ण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत पर 50 फीसदी टैरिफ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने ही देश में घिरते जा रहे है। अब अमेरिका के एक और पूर्व अधिकारी ने भी यूएस और भारत के बीच बनते बिगड़ते संबंधों को लेकर ट्रंप को लताड़ लगाई है। इससे पहले भी कई अमेरिकी अफसर और नेता ट्रंप की आलोचना कर चुके है।
आपको बता दें ओबामा प्रशासन में विदेश मंत्री रहे जॉन केरी ने कहा कि किसी कूटनीतिक प्रयास के बिना अल्टीमेटम देना कोई महानता नहीं है। भारत -अमेरिकी संबंधों में तनाव बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन केरी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि दोनों देशों के मिलकर व्यापार विवाद सुलझा लेंगे।
केरी ने आगे कहा ट्रंप और मोदी के बीच टकराव गलत है। हम इससे चिंतित हैं। बड़े राष्ट्र हमेशा लोगों को चेतावनी देकर महानता प्रदर्शित नहीं करते हैं। बल्कि कूटनीतिक प्रयासों के जरिये काम करते हैं। ताकि आम सहमति बनाई जा सके। केरी ने कहा ओबामा शासन के दौरान बातचीत सहयोग और सम्मान के साथ होती थी। लेकिन ट्रंप प्रशासन के मौजूदा दौर में अब कुछ ज्यादा ही आदेश, दबाव और धक्का-मुक्की हो रही है। भारत ने कई अमेरिकी आयातों पर शून्य पेशकश की है, और यह एक बड़ा बदलाव है। भारत ने स्पष्ट रूप से बेहतर पेशकश की है।
आपको बता दें केरी से पहले व्हाइट हाउस के एक पूर्व सीनियर ऑफिसर जॉन बोल्टन ने ट्रंप को लेकर कहा, रूस से अधिक तेल खरीदने वाले चीन पर टैरिफ नहीं लगाया गया, जबकि भारत पर लगाया गया है। ट्रंप के इस कदम ने भारत को चीन-रूस के अधिक नजदीक ला दिया है। ट्रंप प्रशासन की यह रणनीतिक चूक अनावश्यक गलती है।
अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने भी भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के ट्रंप के कदम की आलोचना की। सैक्स ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ब्रिक्स के महान एकीकरणकर्ता हैं। उन्होंने टैरिफ को अमेरिकी विदेश नीति में सबसे मूर्खतापूर्ण रणनीतिक कदम कहा। अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञ और पूर्व अमेरिकी व्यापार अधिकारी क्रिस्टोफर पैडिला ने भी चेतावनी देते हुए कहा था कि टैरिफ से दोनों देशों के संबंधों को नुकसान हो सकता है। उन्हें डर था कि इससे बाद में यह सवाल उठ सकता है कि क्या अमेरिका एक विश्वसनीय साझेदार है, क्योंकि ये टैरिफ हमेशा के लिए याद रह जाएंगे।
Created On :   23 Aug 2025 3:44 PM IST