यमन में फिर टूटी शांति: यूएई समर्थित अलगाववादी संगठन ने कई तेल समृद्ध इलाकों पर किया कब्जा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यमन के कई इलाकों में तनाव बढ़ने से अब तक बनी शांति फिर टूट गई है। जिससे यमन के दक्षिण हिस्से के कई तेल-समृद्ध इलाकों हदरामौत और महरा के बड़े हिस्से पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) समर्थित अलगाववादी संगठन सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) ने कब्जा कर लिया है, जिनमें यमन की सबसे बड़ी तेल कंपनी पेट्रोमसीला भी शामिल है। इससे पहले सऊदी समर्थित स्थानीय कबीलों ने तेल राजस्व में हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग करते हुए कुछ समय के लिए इलाके पर कब्जा किया था। एसचीसी ने अपनी ताकत बढ़ाते हुए अचानक मौका पाकर इसी महीने कब्जा कर लिया।
पिछले कुछ सालों से सऊदी अरब और हूती विद्रोहियों के बीच हुए समझौते से यमन में लड़ाई कुछ कम हो गई थी, लेकिन एसटीसी की नई कार्रवाई से यमन में फिर से हालात बिगड़ने लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय जानकारों का मानना है कि यूएई इस स्थिति से सबसे बड़ा फायदा उठा रहा है और यमन में उसकी पकड़ और मजबूत हो रही है।
आपको बता दें यूएई समर्थित अलगाववादी संगठन एसटीसी दक्षिण यमन को अलग राष्ट्र बनाने की मांग करने वाला बड़ा संगठन है। इसे यूएई का राजनीतिक और सैन्य समर्थन मिलता है। 2017 में अस्तित्व में आए एसटीसी ने दक्षिणी यमन के बड़े हिस्से में मजबूत पकड़ बनाई है। एसटीसी चीफ ऐदारूस अल-जुबैदी देश की राष्ट्रपति परिषद के उपाध्यक्ष भी हैं।
ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के 2014 में राजधानी सना पर कब्जा करने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को देश छोड़ना पड़ा। एक साल बाद 2015 में सऊदी अरब और यूएई इस संघर्ष में सरकार की सहायता करने के लिए एक साथ आए और दोनों के बीच समझौता हुआ। इससे यमन दो हिस्सों में बंट गया, उत्तरी हिस्सों पर हूतियों और दक्षिणी हिस्से सरकार व उसके समर्थक समूहों के नियंत्रण में था।
Created On :   11 Dec 2025 9:36 AM IST












