तीन तलाक पीड़ित महिलाओं की ताकत बने डॉ. हुदा

तीन तलाक पीड़ित महिलाओं की ताकत बने डॉ. हुदा
तीन तलाक पीड़ित महिलाओं की ताकत बने डॉ. हुदा
लखनऊ, 10 सितंबर (आईएएनएस)। कुछ मुस्लिम कट्टरपंथी तीन तलाक पर भले ही हो हल्ला मचा रहे हों, लेकिन बरेली के युवा चिकित्सक डा़ॅ सैय्यद एहतेशाम-उल-हुदा तलाक पड़िताओं की पीड़ा को कम कर उन्हें सबला बनाने में जुटे हुए हैं।

वह इनकी बीमारियों का मुफ्त इलाज तो करते ही हैं, इन्हें समाज की मुख्यधारा के साथ जुड़ने को प्रेरित भी करते हैं। इतना ही नहीं, अनुच्छेद 370 हटाने के पक्षधर डा़ॅ हुदा अखंड भारत की परिकल्पना को सकार करने का ऊंचा मनोबल रखते हैं।

उन्होंने बताया कि लगभग अभी तक 700 से अधिक महिलाओं का इलाज कर चुके हैं। उनके पास पूरे प्रदेश से महिलाएं आती हैं। सर्वाइकल पेन हो या रीढ़ का दर्द, पैर में दर्द या किसी प्रकार समस्या हो, वह सबका मुफ्त इलाज करते हैं। सबको मुफ्त दवाएं भी देते हैं। इस काम में उनकी पत्नी भी सहयोग करती हैं।

डॉ. हुदा ने बताया कि तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा है। उनके दर्द को समझना बहुत कठिन है। उन्होंने कहा, हमसे जितना हो सकता है हम कर रहे हैं। साथ में हम उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम भी कर रहे हैं। हमारे पास बरेली, हरदोई, मुरादाबाद समेत कई जिलों से अपनी समस्याएं लेकर आती हैं। हम उन्हें दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, खासकर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं हमारे पास ज्यादा आती हैं। वे आर्थिक रूप से कमजोर होती हैं, जिनका हम मुफ्त इलाज कर रहे हैं। हमारे साथ एक मुस्लिम महिलाओं की टीम है जो तीन तलाक के प्रति गांवों में लोगों को जाग्रत भी कर रही हैं और समाज में जीने के तरीके भी सिखा रही हैं।

डॉ. हुदा ने कहा, इसके अलावा हम सुन्नी पढ़े-लिखे नौजवानों को राष्ट्र के प्रति प्रेम और मदरसों की कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष करने को भी तैयार करते हैं। इसके लिए हमने 150 लोगों की एक टीम बना रखी है जो मदरसो और मस्जिदों में जाकर कट्टरपंथी और दकियानुसी बातों के खिलाफ जागरूक करती है। यह टीम खासकर ग्रामीण इलाके में ज्यादा सक्रिय है। हमारा मकसद है पढ़े-लिखे मुस्लिम नौजवानों को देश के प्रति प्यार लोगों को सारक्षर बनाने में हमारा सहयोग करें।

बलिया के खानपुर गांव में जन्मे डॉ. हुदा प्रदेशभर के मदरसों को चिट्ठियां लिखकर, मदरसा अध्यापकों, प्रबंधकों के साथ लगातार बैठकें, सूफी खानकाहों, दरगाहों के सज्जादानशीनों से बात करके उन्हें कुरीतियों से मुक्त कराने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही कट्टरपंथियों की उन्मादी तकरीरों का राष्ट्रवाद के माध्यम से जवाब दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, मदरसों में दीनी तालीम दी जा रही है। बुनियादी और आधुनिक पढ़ाई नहीं होती है, जिस कारण हमारा मुस्लिम नवयुवक कुछ नहीं जान पाता है। मदरसों में कभी स्पोर्ट्स के कार्यक्रम नहीं होते हैं। न ही खेलकूद के प्रति उन्हें जाग्रत किया जाता है, इन्हीं सब कारणों को लेकर मेरा मदरसों से विरोध है। एक मदरसे का पंजीकरण होता है, उसके एवज में लगभग एक दर्जन से अधिक मदरसे चलाए जा रहे हैं। ये सब बंद होना चाहिए। इसके लिए भी हमारी टीम जागरूक करती है।

उन्होंने बताया कि तकरीबन 7000 मदरसों को चिट्ठी लिखकर राष्ट्रवाद और धर्म के नाम पर मुसलमानों को बरगलाने की कोशिश को बंद करने की नसीहत देते हैं, इसलिए वह कट्टरपंथियों की आंखों में चुभ रहे हैं। उन्हें धमकियां मिल रहीं हैं।

डॉ. हुदा ने कहा, मैंने देश के पूर्व प्रधानमंत्री और सर्वमान्य नेता अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर बरेली के एक मदरसे में केक कटवा दिया था। इसके बाद मैं कट्टरपंथियों की निगाहों में चुभने लगा था। बावजूद इसके मैं अपने मिशन में जुटा हुआ हूं।

चिकित्सक हुदा सुन्नी मुसलमानों को राष्ट्रवाद, देशसेवा, राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ कट्टरपंथियों को धर्म के नाम पर आम सुन्नी मुसलमान को गुमराह न करने की नसीहत देते हैं।

वह कहते हैं, मैं 37 जिलों का दौरा कर चुका हूं। मुसलमानों को राष्ट्रवाद और निष्काम सेवा और देश की मुख्यधारा से जुड़ने के फायदे बता चुका हूं। मुझे यह नहीं समझ आता है कि केवल कट्टरपंथी ही इस पर विरोध क्यों जताते हैं। उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि ऐसे कार्य से सिर्फ कौम ही बदनाम नही होती, बल्कि आने वाली नस्लों के भविष्य पर भी सवालिया निशान खड़ा होता है। धार्मिक तथा मदरसा माफियाओं के चुंगल से सुन्नी मुस्लिम युवा पीढ़ी को आजाद कराना है।

डॉ. हुदा ने बताया कि वह धर्म की आड़ में अरबी में लिखे कुरान-ए-पाक की अपने मतलब के अनुसार व्याख्या का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है, अनुच्छेद 370 हटकार अखंड भारत की परिकल्पना को साकार करने का काम किया गया है। यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था। इससे भी मुस्लिम नौजवानों को पढ़ाई के साथ रोजगार मिलेगा। इसका मैं खुले तौर पर पक्षधर हूं।

बरेली को अपना कर्मस्थल बना चुके युवा चिकित्सक हुदा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरक्षनाथ मंदिर और आरएसएस से मिली सीख से लोगों में अलख जग रहे हैं।

वर्ष वह 1997 में देहरादून की एसबीएस यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी, मेरठ यूनिवर्सिटी से अथरेपेडिक में मास्टर डिग्री और प्रयागराज डीम्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरो फिजियोथेरेपी में डिग्री हासिल करने के बाद वर्ष 2008-09 में न सिर्फ रूरल डेवलेपमेंट में एमबीए कर ग्रामीण क्षेत्र के गरीब लोगों की सेवा की ठानी, बल्कि भारतीय क्रिकेट टीम में चिकित्सक रहे डॉ़ अली ईरानी से स्पोर्ट्स इंजुरी का टिप्स लिया।

डॉ. हुदा अजय जडेजा, महेंद्र सिंह धोनी और विवेक राजदान सरीखे नामचीन क्रिकेटरों तथा सैकड़ों अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों का नि:शुल्क इलाज भी कर चुके हैं।

--आईएएनएस

Created On :   10 Sept 2019 10:30 AM IST

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