मिशन मून के बाद इसरो के लिए क्यों जरूरी है मिशन सन? सूरज के लिए अध्ययन के लिए सूरज के इतने नजदीक पहुंचेगा आदित्य एल 1

मिशन मून के बाद इसरो के लिए क्यों जरूरी है मिशन सन? सूरज के लिए अध्ययन के लिए सूरज के इतने नजदीक पहुंचेगा आदित्य एल 1
  • चंद्रयान-3 के बाद आदित्य एल1 अंतरिक्ष में जाने के लिए तैयार
  • 2 सितंबर को होगा लॉन्च

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो आदित्य-एल1 लॉन्च कर चुका है। इस मामले पर भारतीय तारा भौतिक संस्थान (IIA) ने बीते मंगलवार यानी 29 अगस्त को बताया कि 'विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ' (VELC) का डिजाइन तैयार करने के साथ ही इसका संयोजन और परीक्षण किया गया है, जो सूर्य के अध्ययन के लिए भारत के पहले समर्पित वैज्ञानिक मिशन आदित्य-एल1 के सात पेलोड में से एक है।

इसरो 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण करने के लिए पूरी तरह तैयार है। आईआईए ने अपने एक और बयान में कहा कि आईआईए को वीईएलसी का संयोजन करने के लिए होसाकोटे में अपने क्रेस्ट परिसर में भारत का पहला बड़े आकार का क्लास टू क्लीन रूम बनाना था।

6 अन्य उपकरण भी जाएंगे आदित्य एल-1 के साथ

आदित्य एल1 सूर्य के गहरी जांच के लिए अपने साथ 6 अन्य उपकरण भी ले जाने वाला है। जिनमें सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी), आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरीमेंट (एएसपीईएक्स), प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एसओएलईएक्सएस), हाई एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एचईएल1ओएस), और मैग्नेटोमीटर शामिल हैं।

आईआईए ने आदित्य एल-1 को लेकर अधिकारिक तौर पर जानकारी साझा करते हुए कहा, "इससे पहले, इस मिशन की कल्पना एक उपकरण-विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) ले जाने वाले 400 किलोग्राम वर्ग के उपग्रह के साथ आदित्य-1 के रूप में की गई थी, और इसे 800 किमी. नीचे, पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित करने की योजना बनाई गई थी।"

इसरो ने क्या कहा?

इसरो ने कहा कि सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के पहले लैग्रेन्जियन बिंदु (एल 1) के आसपास प्रभामंडल कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी रुकावट के सूर्य को लगातार देखने का बड़ा फायदा होता है। भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (IIA) ने कहा कि इसलिए, आदित्य-1 मिशन को अब आदित्य-एल1 मिशन के रूप में संशोधित किया गया है और इसे एल1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से सूर्य की ओर 15 लाख किलोमीटर दूर है। आदित्य-एल1 को लेकर इसरो ने आगे कहा कि, उपग्रह द्वारा किए गए वैज्ञानिक अध्ययन सौर परिमंडल की वर्तमान समझ को बढ़ाएंगे और अंतरिक्ष मौसम अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण डेटा भी प्रदान करेंगे। इसरो के मुताबिक, पृथ्वी से सूरज 15 लाख किलोमीटर दूर है। जबकि आदित्य एल1 1485 किमी. दूर जाकर सूरज का अध्ययन करने वाला है।

आदित्या एल1 का क्या रहेगा काम?

  • सूर्य का अध्ययन
  • अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन
  • सौर परिमंडल की वर्तमान समझ को बढ़ना।
  • सूर्य को लेकर नया डेटा तैयार करना।

Created On :   30 Aug 2023 11:36 AM GMT

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