CBI दंगल : सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आलोक वर्मा, कहा- केन्द्र देता है कामकाज में दखल
- CBI चीफ आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
- आलोक वर्मा ने बुधवार को SC में सरकार के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की है।
- आलोक वर्मा ने सरकार के CBI जांच में दखलअंदाजी देने की ओर भी इशारा किया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजे गए CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आलोक वर्मा ने बुधवार को SC में सरकार के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की है। इस याचिका में उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आलोक ने कहा है कि सरकार CBI को एक स्वतंत्र संस्था के तौर पर पेश करने के SC के दावों को गलत साबित कर रही है। उन्होंने इसी के साथ सरकार के CBI जांच में दखलअंदाजी देने की ओर भी इशारा किया है।
आलोक वर्मा ने कहा...
आलोक वर्मा ने याचिका में केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि CBI एक ऑटोनॉमस संस्था के तौर पर काम करना चाहती है, लेकिन केंद्र सरकार ऐसा करने नहीं दे रही। उन्होंने कहा, ऐसे कई मौके आए हैं जब हाईप्रोफाइल केसों में जांच की दिशा सरकार के मनमुताबिक नहीं होती। मैं चाहता हूं कि मुझे जबरन छु्ट्टी पर भेजने वाले ऑर्डर को सरकार रद्द करे। मुझे छुट्टी पर भेजने का ऑर्डर रातों रात लिया गया, जबकि यह केवल हाई पॉवर कमिटी ही दे सकती है। सरकार ने संविधान के कई प्रावधानों को अनदेखा किया है, जो CBI की स्वतंत्रता के लिए CBI चीफ को दो साल की सुरक्षित अवधि प्रदान करता है।"
आलोक ने कहा, "मुझे जिस केस का हवाला देकर छुट्टी पर भेजा गया है। वह एक संवेदनशील मामला है। इससे पहले सरकार ने आश्चर्यजनक तरीके से अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर नियुक्त किया। इतना ही नहीं जब से अस्थाना डायरेक्टर के पद पर आए, तब से वह खुद ही तय करते थे कि मामले को किस दिशा में ले जाना है।"
इससे पहले जेटली ने डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजने को लेकर सफाई पेश की। जेटली ने कहा कि आलोक और राकेश दोनों CBI के बड़े अधिकारी हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए और जांच निष्पक्ष हो इसलिए यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि CVC के सिफारिशों पर यह निर्णय लिया गया। यदि जांच में वह निर्दोष साबित होते हैं तो वह वापस अपना कार्यभार संभाल लेंगे।
CBI को लेकर क्या है पूरा मामला
राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने 15 अक्टूबर को केस दर्ज किया था। दरअसल, 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस राकेश अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने एक कारोबारी मनोज से 2 करोड़ रुपए रिश्वत ली है। मनोज मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले के तहत जांच के दायरे में है। उसने ये पैसे उन्हें जांच प्रभावित करने के लिए दिए थे। वहीं अस्थाना का आरोप है कि एजेंसी प्रमुख आलोक कुमार वर्मा ने उन्हें फंसाने की कोशिश की है। केस दर्ज होने से पहले अस्थाना अपने बॉस आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगा चुके हैं। यह पहली बार नहीं है, जब आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की लड़ाई सामने आई है, बल्कि इससे पहले भी दोनों की तकरार प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुकी है।
Created On :   24 Oct 2018 9:05 PM IST