10 साल पहले बन सकती थी एंटी-सैट मिसाइल, सरकार ने नहीं दी अनुमति - जेटली
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मिशन शक्ति की कामयाबी के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यूपीए सरकार पर निशाना साधा है। अरुण जेटली ने कहा कि "जब अप्रैल 2012 में भारत ने अग्नि- V मिसाइल का परीक्षण किया था, तब DRDO प्रमुख वीके सारस्वत ने कहा था कि भारत अब एक एंटी-सैटेलाइट मिसाइल विकसित कर सकता है, लेकिन सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी थी।" ISRO के पूर्व चेयरमैन जी माधवन नायर और डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख डॉक्टर वीके सारस्वत ने भी इस देरी के लिए यूपीए सरकार को जिम्मेदार बताया है।
अरुण जेटली ने कहा, भारतीय वैज्ञानिकों के पास एक दशक पहले ही एंटी-सैटेलाइट मिसाइल बनाने की क्षमता थी, लेकिन सरकार ने कभी अनुमति नहीं दी। जेटली ने कहा, "2014 में जब एनडीए की सरकार बनी तो पीएम मोदी की अनुमति के बाद एंटी-सैटेलाइट मिसाइल बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। उन्होंने कहा "इस मिशन के पूरे होने के बाद न केवल हम अंतरिक्ष शक्ति बन गए हैं बल्कि अब हम चार बड़े देशों में शामिल हो गए हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कल के युद्ध पिछले युद्धों के समान नहीं होंगे।"
विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एंटी-सैटेलाइट मिसाइल के सफल परीक्षण की घोषणा को चुनावी स्टंट बता रहा है। इसरा जवाब देते हुए अरुण जेटली ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है चुनावी स्टंट नहीं। जेटली ने कहा, "हम विपक्ष से आग्रह करते हैं कि वह इस मिशन पर सवाल न उठाए। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और इसलिए विपक्ष को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।"
उधर, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के पूर्व चेयरमैन जी माधवन नायर ने कहा कि 2007 में चीन ने जब ऐंटी सैटलाइट मिसाइल का परीक्षण किया था और अपने मौसम उपग्रह को मार गिराया था उस समय भारत भी इसे विकसित कर सकता था, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण ऐसा नहीं हो सका। नायर ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा शक्ति से हम इस मिशन में कामयाब हुए है। बता दें कि नायर 2003 से 2009 में डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस के सचिव और स्पेस कमीशन प्रमुख भी रहे हैं।
डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख डॉक्टर वीके सारस्वत ने कहा कि "जब इस प्रोजेक्ट को लेकर चर्चाएं चल रही थी तब हमने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सामने प्रजेंटेशन दिया था। दुर्भाग्य से उस समय सरकार (यूपीए सरकार) से हमें सकारात्मक जवाब नहीं मिला। इसलिए हम आगे कुछ नहीं कर पाए।"
सारस्वत ने कहा, "जब डॉ. सतीश रेड्डी और NSA अजीत डोभाल ने पीएम मोदी के सामने मिशन शक्ति का प्रस्ताव रखा, तो उनके पास साहस था और इस आधार पर उन्होंने आगे बढ़ने का मौका दिया। यदि 2012-13 में मंजूरी दी गई थी, तो मुझे पूरा विश्वास है कि इसका प्रक्षेपण 2014-15 में हो जाता।
बता दें कि भारत ने लो अर्थ ऑर्बिट में लाइव सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता विकसित कर ली है। इस प्रोजेक्ट को मिशन शक्ति नाम दिया गया था। अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जिसके पास लो अर्थ ऑर्बिट में लाइव सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्र को इस बारे में बताया। एंटी सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) के जरिए भारत ने एक पूर्व निर्धारित लाइव सैटेसाइट को तीन मिनट में मार गिराया।
Created On :   27 March 2019 7:34 PM IST