अयोध्या विवाद: हिंदुओं का सब्र टूट रहा है, गिरीराज सिंह का बयान
![Ayodhya case: Union Minister Giriraj Singh said, Hindus Are Losing Patience Ayodhya case: Union Minister Giriraj Singh said, Hindus Are Losing Patience](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2018/10/ayodhya-case-union-minister-giriraj-singh-said-the-patience-of-hindus-is-breaking_730X365.jpg)
- चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में चल रही अयोध्या मामले की सुनवाई
- जनवरी 2019 तक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने टाली सुनवाई
- जल्द फैसला चाहते हैं दोनों समुदायों के पक्ष
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या मंदिर निर्माण पर बहस के बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बयान आया है। गिरिराज ने कहा कि फैसले में देरी होने से हिंदुओ का सब्र टूट रहा है। मुझे इस बात का डर है कि सब्र टूटने पर क्या होगा? गिरिराज ने कहा कि मुझे भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट आज सवा सौ करोड़ भारतीयों की अपेक्षा के अनुसार ही निर्णय सुनाएगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अयोध्या मामले में सुनवाई होनी थी, जिसे जनवरी 2019 तक टाल दिया गया है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाली थी, जिसे जनवरी तक के लिए टाल दिया गया है। बता दें कि इससे पहले 27 सितंबर को जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस्लाम में मस्जिद की अनिवार्यता का सवाल संविधान पीठ के पास भेजने से मना कर दिया था। इस फैसले की वजह से ही अयोध्या मामले पर सुनवाई का रास्ता साफ हुआ है। इससे पहले पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और अब्दुल नजीर की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी।
इससे पहले केस नंबर 43 के तौर पर सूचीबद्ध अयोध्या मामले से जुड़े वकीलों ने आशंका जताई थी कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की बेंच केस में नियमित सुनवाई तय कर सकती है। निर्मोही अखाड़े के महंत स्वामी परमहंस दास महाराज ने कहा था कि वे चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट जल्द से जल्द फैसला सुनाए। बता दें कि संतों ने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले मंदिर निर्माण न शुरू होने पर बीजेपी सरकार को अल्टिमेटम भी दिया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव से पहले मंदिर निर्माण शुरू नहीं हुआ तो वे अन्य विकल्प तलाशेंगे।
क्या है पूरा विवाद
अयोध्या मामला इस देश का सबसे बड़ा विवाद है। जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या का विवादित ढांचा भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1530 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। माना जाता है कि मुग़ल सम्राट बाबर के शासन में हिंदू भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण किया। मस्जिद बाबर ने बनवाई इसलिए इसे बाबरी मस्जिद कहा गया।
1853 में हिंदुओं ने आरोप लगाया कि राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई, इसके बाद दोनों के बीच हिंसा हुई। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने 1859 में आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग पूजा करने की इजाजत दे दी। 1885 में महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील की। 1949 में हिंदुओं ने भगवान राम की मूर्ति इस स्थल पर रखी और पूजा शुरू कर दी। गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद कोर्ट में सन 1950 को भगवान राम की पूजा की विशेष इजाजत मांगी। 5 दिसंबर, 1950 में महंत परमहंस रामचंद्र दास परिसर में हिंदू पूजा जारी रखने और राममूर्ति रखने के लिए याचिका दायर की। 9 साल बाद निर्मोही अखाड़ा ने, 1959 में स्थल हस्तांतरित करने की मांग कोर्ट से की। इस मामले पर यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 1961 में मस्जिद का मालिकाना हक लेने के लिए केस दायर किया।
Created On :   29 Oct 2018 7:28 AM GMT