बिहार : मजदूरों, गरीबों पर आफत बनकर टूटा करोना, पेट भरने के लाले

Bihar: Workers, poor people to be broken and broken, helpless
बिहार : मजदूरों, गरीबों पर आफत बनकर टूटा करोना, पेट भरने के लाले
बिहार : मजदूरों, गरीबों पर आफत बनकर टूटा करोना, पेट भरने के लाले
हाईलाइट
  • बिहार : मजदूरों
  • गरीबों पर आफत बनकर टूटा करोना
  • पेट भरने के लाले

पटना, 24 मार्च (आईएएनएस)। कलावती देवी अपने झोपड़ीनुमा घर के बाहर सिर पर हाथ रखे आने-जाने वाले लोगों को काफी देर से देख रही है। मानो उसे इस बात का इंतजार है कि आने वाला कोई व्यक्ति लॉकडाउन समाप्त होने की खबर दे, जिससे वह कबाड़ चुनने निकल सके और घर में बीमार पड़े पति के लिए दवा ला सके और घर का चूल्हा भी जला सके।

यह हालत पटना शहर के व्यस्तम इलाके आयकर गोलंबर के कुछ ही दूर पर मंदिरी इलाके में नाले के किनारे अपने घर बनाकर रह रहे केवल कलावती की नहीं है, बल्कि यहां कई ऐसे गरीब और मजदूर लोगों का आवास है, जो प्रतिदिन कमाई कर अपना परिवार चलाते हैं।

कलावती को अपने से अधिक चिंता अपने 65 वर्षीय पति की है, जो बीमार हालत में अपने घर से निकल नहीं पा रहे हैं। कलावती का कहना है कि वह क्या करें। खाने-पीने के लाले पड़े हैं। कबाड़ बेचने कहां जाएं।

कलावती सिर्फ एक उदाहरण है। पटना में ऐसे कई गरीब हैं, जिनके पेट के लिए कोरोना की बीमारी आफत बनकर टूटी है। पटना के बांकीपुर क्लब के पास रहने वाले रमेश कुमार रिक्शा चलाते हैं। आज घर के बाहर बच्चों को उछलते-कूदते देखकर समय काट रहे हैं। वे कहते हैं कि नालंदा के गांव से पटना रिक्शा चलाने यह सोचकर आए थे कि यहां ज्यादा कमा लेंगे, तो जीवन गुजर जाएगा, लेकिन लोग कहते हैं कि अप्रैल महीने तक यही स्थिति रहेगी।

अब रमेश ना घर जा पा रहे हैं और ना ही यहां रिक्शा चला पा रहे हैं। वे कहते हैं, जो जमा पैसा था, उससे तो दो-चार दिन चल जाएगा, लेकिन उसके बाद क्या होगा? कोई उधार देने वाला भी नहीं है, जिससे मांगकर काम चला सके।

ऐसी ही हालत एक छोटे से होटल में बर्तन साफ करने वाले मुरारी की भी है। मुरारी की स्थिति ऐसी हो गई है कि होटल बंद है और घर से बाहर निकलने पर भी मनाही है। मुरारी से अब क्या करोगे, पूछने पर रुंआसे होकर कहता है, अब क्या करेंगे, मरेंगे, और क्या?

इस बीच, हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस लॉकडाउन की स्थिति में गरीबों के राहत के लिए सहायता देने की घोषणा करते हुए राशन कार्ड वाले परिवारों को एक महीने तक मुफ्त राशन देने तथा जिन इलाकों में लॉकडाउन है, वहां राशन कार्डधारक परिवारों को 1,000 रुपये की सहायता देने का एलान किया है।

इसके अलावा सभी प्रकार के पेंशन जैसे वृद्घा, दिव्यांग, विधवा पेंशन पाने वालों को अगले 3 महीने की पेंशन 31 मार्च से पहले दी जाएगी, जो उनके बैंक खाते में सीधे भेजे जाने की भी घोषणा है। लेकिन, बिहार में कई ऐसे परिवार भी हैं, जिनके पास राशन कॉर्ड नहीं है और ना ही पेंशन उनके परिजन को मिलता है।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा नाकाफी है। उन्होंने कहा कि राज्य में कई ऐसे परिवार भी हैं, जिनके पास राशन कॉर्ड नहीं है और ना ही पेंशन उनके परिजन को मिलता है। लॉकडाउन के कारण ऐसे कई लोग बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को असंगठित मजदूरों पर भी ध्यान देना चाहिए।

Created On :   24 March 2020 11:00 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story