CBI दंगल: कोर्ट के फैसले को बीजेपी ने बताया अपनी जीत, कांग्रेस बोली- यह सरकार के मुंह पर तमाचा
- CBI मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश- 2 हफ्तों में CVC को जांच पूरी करने का आदेश
- अरुण जेटली बोले- कोर्ट के फैसले से आगे की जांच को बल मिलेगा और निष्पक्षता से जांच होगी
- रणदीप सुरजेवाला बोले- CBI मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी सरकार के मुंह पर एक तमाचा है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। CBI में चल रहे घमासान पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीजेपी-कांग्रेस की राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। दोनों ही दल इस फैसले को अपनी-अपनी जीत बता रहे हैं। बीजेपी जहां कोर्ट के फैसले को केन्द्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की दिशा में ही बता रही है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि CBI मामले में कोर्ट का फैसला मोदी सरकार के मुंह पर तमाचा है।
कोर्ट का फैसला सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की दिशा में : जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, "CVC ने CBI के दोनों टॉप अफसरों को छुट्टी पर भेजने का आदेश इसलिए दिया, ताकि पूरे मामले की जांच निष्पक्षता से हो सके और दोनों अधिकारी जांच से दूर रहें। सुप्रीम कोर्ट ने जो आज फैसला दिया है, वह इसी बात को मजबूत करता है। कोर्ट के फैसले से आगे की जांच को बल मिलेगा और निष्पक्षता से जांच होगी।"
सरकार के मुंह पर तमाचा : कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि मोदी सरकार ने CBI के कामकाज में हस्तक्षेप करते हुए जो कदम उठाया था, उस पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी एक तमाचा है। सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जज एके पटनायक की निगरानी में पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है। कोर्ट के इस आदेश के बाद इस मामले की जांच निष्पक्षता से हो सकेगी और मोदी सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट को भी सीवीसी पर भरोसा नहीं : AAP
AAP नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मोदी सरकार के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को भी सीवीसी पर भरोसा नहीं है। इसीलिए उन्होंने मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को सौंपी है। संजय सिंह ने यह भी कहा कि कोर्ट द्वारा नागेश्वर राव को किसी भी तरह के नीतिगत फैसले लेने से रोकना भी सरकार के मुंह पर तमाचा जैसा है। कोर्ट की टिप्पणी बताती है कि राव की नियुक्ति गलत तरीके से हुई थी।
कोर्ट ने CVC को दिया है 2 हफ्तों का समय
CBI में चल रहे घमासान पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस पूरे मामले की जांच के लिए CVC को 2 हफ्तों का समय दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि देशहित में इस मामले को ज्यादा लम्बा नहीं खींच सकते। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका सरकार के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें उनसे चार्ज वापस लेते हुए उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया था।
यह है मामला
15 अक्टूबर को CBI स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया था कि एक केस को रफा-दफा करने के लिए अस्थाना ने करोड़ों रुपए की रिश्वत ली है। इससे पहले, राकेश अस्थाना ने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव को एक विस्तृत पत्र लिखकर CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के 10 मामले गिनाए थे।
मामले बढ़ने के बाद सरकार ने CBI के दोनों टॉप अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया था। आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद CBI में जॉइंट डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे एम नागेश्वर को CBI का अंतरिम डायरेक्टर बना दिया गया है। आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के ऑफिसों को भी सील कर दिया गया है। विपक्षी दल CBI में चल रहे इस घमासान को राफेल सौदे से जोड़कर देख रहे हैं और लगातार केन्द्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। वहीं इस मामले में CVC ने अपनी जांच भी शुरू कर दी है।
Created On :   26 Oct 2018 10:49 PM IST