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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगा यौन उत्पीड़न का आरोप, कहा-न्यायपालिका खतरे में
हाईलाइट
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगा यौन उत्पीड़न का आरोप।
- खुद पर लगे आरोप से किया इनकार।
- कहा- मुझे जानबूझकर फंसाया जा रहा है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं आरोपों पर कोई जवाब नहीं देना चाहता। गोगई ने कहा, 'न्यायपालिका खतरे में है। अगले सप्ताह कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई होनी है, इसलिए मुझे जानबूझकर फंसाया जा रहा है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी का एक हलफनामा सामने आया है। 22 पन्नों के हलफनामे में पूर्व कर्मचारी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न और घटना के बाद उसके परिवार को परेशान करने का आरोप लगया है। महिला जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के तौर पर काम करती थी। महिला ने आरोप लगया है कि चीफ जस्टिस गोगोई ने पिछले वर्ष अक्टूबर को अपने के ऑफिस में जबरदस्ती करने की कोशिश की। जब मैंने मांग को ठुकरा दिया तो, मुझे नौकरी से निकाल दिया।
इस मामले सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की एक स्पेशल बेंच ने की। इस दौरान चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा, '20 सालों की सेवा के बाद मेरे खाते में सिर्फ 6,80,000 रुपए हैं। कोई भी मेरा बैंक अकाउंट चेक कर सकता है। यहां तक मेरे चपरासी के पास मुझसे ज्यादा पैसे हैं।'
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता। लोग पैसे के मामले में मुझ पर उंगली नहीं उठा सकते, इसलिए इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। गोगोई ने कहा, 'मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना हूं कि मैं महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करूंगा। जिन्होंने मेरे ऊपर आरोप लगाए वे पहले जेल में थे। इसके पीछे एक शख्स नहीं, बल्कि कई लोगों का हाथ है।'
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के महासचिव संजीव सुधाकर कलगांवकर ने कहा कि रंजन गोगई पर लगाए गए सभी आरोप गलत है। इसका कोई आधार नहीं है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर स्पेशल बेंच गठित की। इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगई, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खत्रा शामिल है। सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार की ओर से इस संबंध में जारी किए गए नोटिस के अनुसार स्पेशल बेंच का गठन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उल्लेख के बाद किया गया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि चीफ जस्टिस के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप हैं।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।