लीवर के खराब हिस्से को काटा और फिर उसी जगह कर दिया फिक्स, जानिए किस कंडीशन में लीवर ट्रांसप्लांट का जोखिम उठाए बगैर डॉक्टर कर सकते हैं ऐसा इलाज

Cut the damaged part of the liver and then fix it at the same place, know in which condition doctors
लीवर के खराब हिस्से को काटा और फिर उसी जगह कर दिया फिक्स, जानिए किस कंडीशन में लीवर ट्रांसप्लांट का जोखिम उठाए बगैर डॉक्टर कर सकते हैं ऐसा इलाज
लीवर का इलाज लीवर के खराब हिस्से को काटा और फिर उसी जगह कर दिया फिक्स, जानिए किस कंडीशन में लीवर ट्रांसप्लांट का जोखिम उठाए बगैर डॉक्टर कर सकते हैं ऐसा इलाज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आमतौर पर लीवर के ट्रांसप्लांट को बेहद ही संजीदा माना जाता है क्योंकि इलाज में जरा सी गलती या मरीज की गंभीर अवस्था उसकी जान ले सकती है। अगर मानव शरीर में लीवर न हो तो इंसान एक क्षण जीवित नहीं रह सकता है। किर्गीस्तान की एक महिला के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। जिसके करीब 75 फीसदी लीवर पूरी तरह खराब हो चुका थ। इसके बावजूद दिल्ली के डॉक्टर ने अपनी पूरी सूझबूझ से इसका उपचार किया और उसे सफलत भी मिली। हैरानी की बात ये है कि महिला को किसी अन्य डोनर से लीवर लेने की जरूरत भी नहीं पड़ी। आपको बता दें कि, यह इलाज इसलिए चर्चा में आया है क्योंकि आमतौर पर लीवर ट्रांसप्लांट होने के बाद आदमी के स्वस्थ होने की गांरटी नहीं होती है। लेकिन यह केस अन्य ट्रांसप्लांट से साफ अलग था क्योंकि इस महिला का इलाज बाकी बचे स्वस्थ्य लीवर से ही किया गया है, जो पूरी तरह सफल रहा।

दरअसल, महिला को इस बात का पता दिल्ली स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में चेकअप कराने के दौरान लगा कि उसका लीवर तीन फीसदी ट्यूमर की चपेट में आकर खराब हो चुका है। जिसकी वजह से पूरी बॉडी पर असर पड़ रहा था। आमतौर पर लीवर खराब होने की कंडीशन में स्वस्थ लीवर को ट्रांसप्लांट किया जाता है। लेकिन ये प्रक्रिया बहुत आसान नहीं होती। पर, इस महिला के केस डॉक्टर्स ने जो तरीका अपनाया वो कम ही सुनने को मिलता है। डॉक्टर्स ने इसी महिला का लीवर निकाला, उसका खराब हिस्सा काटा और उसे दोबारा उसकी अपनी जगह पर फिक्स कर दिया। जटिल प्रक्रिया के कामयाब होने के बाद अब महिला भी ठीक है, जिसे स्वस्थ होने में आठ दिन का समय और लगेगा है।

महिला के लीवर से ही हुआ इलाज

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के लीवर ट्रांसप्ला़ट सर्जन डॉ विवेक विज के अनुसार, महिला की सेहत को देखते हुए उसी के लिवर से ही उसका इलाज करने का फैसला किया गया. दूसरे का लीवर लेकर लगाने के बाद उसे शरीर के साथ एडजस्ट करने में वक्त लगता है. उस एडजस्टमेंट पीरियड के दौरान इम्यून सिस्टम को दबा कर रखने के लिए दवाएं दी जाती हैं ताकि बाहरी अंग को पहचानते ही इंसान का इम्यून सिस्टम एक्टिव न हो, जिससे बाहरी अंग किसी भी तरह की क्षति से बचा रहे। ट्रांसप्लांट करने वाले सभी मरीजों को प्रतिरक्षा दमनकारी यानी  immuno suppressant दवाएं दी जाती है। ताकि उनकी इम्युनिटी कमजोर न हो। हालांकि, इस महिला को इन सभी दवाओं की आवश्कता नहीं पड़ी क्योंकि इनके खुद के लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया था। जिसे शरीर ने आसानी से एक्सेप्ट कर लिया।

ट्रांसप्लांट में 10 लाख रूपये खर्च आए  

इस महिला के लीवर में जो इंफेक्शन हुआ था वो फिर से होने का खतरा बना रहता है। ऑटो लीवर ट्रांसप्लांट हर मरीज में नहीं हो सकता है। पहले लीवर को पूरा निकालना पड़ता है और सेहतमंद लीवर को काटकर वापस लगाया जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब कम से कम 30 फीसदी लीवर स्वस्थ हो।

आपको बता दें कि, लीवर शरीर का एक ऐसा अंग है जो कटने के बाद भी बड़ा हो जाता है और अपने पहले की आकार में आ जाता है। वहीं इस महिला की सर्जरी मार्च के महीने में की गई थी। सर्जरी के बाद महिला पूरी तरह स्वास्थ्य है। इस ट्रांसप्लांट में करीब 10 लाख के खर्चे आए हैं। जबकि निजी हॉस्पिटल में 20 लाख से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट कराने में लगते हैं।


 

Created On :   12 April 2023 4:21 PM IST

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