दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई में देरी उचित नहीं : सुप्रीम कोर्ट
- दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई में देरी उचित नहीं : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 4 मार्च (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विवाद के एक सौहार्द्रपूर्ण समाधान की संभावना तलाशने के लिए दिल्ली हिंसा के पीड़ितों की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया। इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली हिंसा मामले पर सुनवाई में देरी उचित नहीं है।
शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को हाईकोर्ट से इस मामले को प्राथमिकता के साथ सूचीबद्ध करने के लिए भी कहा है।
न्यायाधीश बी.आर. गवई और सूर्यकांत के साथ प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हम दिल्ली हाईकोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह शुक्रवार को मामले को सूचीबद्ध करे, क्योंकि मामले में देरी उचित नहीं है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हिंसा से संबंधित याचिका पर शुक्रवार को अन्य प्रासंगिक मामलों के साथ सुनवाई की जानी चाहिए और हाईकोर्ट को इस पर जल्द से जल्द सुनवाई करनी चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने 13 अप्रैल को दिल्ली हिंसा के मामले को सूचीबद्ध किया था। देरी होने पर पीड़ितों के वकील ने शीर्ष अदालत का रुख किया था।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, शांति संभव है और हम चाहते हैं कि कुछ लोग इस संदेश का प्रसार करें। उन्होंने हिंसा के बाद शांति के लिए राजनीतिक नेताओं को शामिल करने का भी सुझाव दिया और सभी पक्षों से कुछ व्यक्तियों के नाम देने को कहा, जो सहायता कर सकते हैं।
बोबडे ने कहा, राजनीतिक नेता एकजुट हो सकते हैं और इस मुद्दे को हल कर सकते हैं। हमारे राजनीतिक नेताओं को जाकर लोगों से बात करनी चाहिए, हम मध्यस्थता का आदेश नहीं दे रहे हैं। हम देखना चाहते हैं कि क्या शांति संभव है।
उन्होंने कहा कि शांति बनी रहनी चाहिए और इस दिशा में हाईकोर्ट को सभी प्रयास करने चाहिए।
इसके अलावा शीर्ष अदालत ने बुधवार को भाजपा नेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण को लेकर मामला दर्ज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर से सफाई मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मंदर खुद ही घिर गए हैं। मंदर का विवादित वीडियो सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए उनसे सफाई मांगी है।
दरअसल, भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने बुधवार को एक विडियो ट्वीट किया था, जिसमें हर्ष मंदर कथित तौर पर कहते दिख रहे हैं कि अब फैसला संसद या सुप्रीम कोर्ट में नहीं, सड़कों पर होगा। मंदर कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या और कश्मीर के मामले में इंसानियत और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा नहीं की, इसलिए लोग अब सड़कों पर अपने भविष्य का फैसला करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने उनके इसी बयान को लेकर मंदर से सफाई मांगी है।
Created On :   4 March 2020 9:01 PM IST