कन्हैया कुमार पर हमला मामले में नहीं होगी एसआईटी जांच: SC
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। कन्हैया कुमार के साथ मारपीट मामले कोई SIT जांच नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2016 में दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया पर अदालत में पेशी के दौरान हमले के लिए एसआईटी से जांच कराने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि "मरे हुए घोड़े को चाबुक मारकर जिंदा नहीं किया जा सकता।" बता दें कि कन्हैया कुमार के साथ पटियाला हाउस कोर्ट में उस वर्ष 15 और 17 फरवरी को वकीलों ने मारपीट की थी।
वकील प्रशांत भूषण ने कहा सजा होनी चाहिए
हालांकि वह इस समय पुलिस हिरासत में थे, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर. भानुमति ने इस संबंध में कामिनी जयसवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया है। वकील कामिनी जायसवाल की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण से पीठ ने पूछा, "डरावनी कार्रवाई क्या है?"। जिसमें उन्होंने मारपीट करने वाले दोनों वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई चलाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि उस बात पर समय खराब करने का कोई फायदा नहीं है जिसका कोई नतीजा नहीं निकलने वाला है।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याचिका के पक्ष में कहा कि इस तरह की घटना पर सजा दी जानी चाहिए और इससे अदालत की अवमानना हुई है। भूषण ने कहा कि यदि कोई कार्रवाई नहीं की गई तो लोगों को ऐसा करने का प्रोत्साहन मिलेगा। पीठ ने इसके जवाब में कहा, "हम आगे नहीं सुनेंगे। यदि आपकी कुछ अपेक्षा है तो आप उपयुक्त कदम उठा सकते हैं। आप एफआइआर दर्ज करा सकते हैं। याचिका खारिज की जाती है।"
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा भूल जाइए SIT
इस पर न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, "भूल जाइए एसआईटी के गठन को, हमें नहीं लगता कि हम ऐसा करेंगे। हमें नहीं लगता कि अवमानना की गई है।" अदालत ने कहा, "हमारे आदेश का यह मतलब नहीं है कि याचिकाकर्ता कानून के अनुसार आगे कदम नहीं उठा सकते हैं।" कन्हैया कुमार विश्वविद्यालय में एक बैठक के दौरान भारत विरोधी नारे लगाने का आरोप था। हालांकि वह बैठक में उपस्थित नहीं था।
Created On :   25 Jan 2018 8:18 AM IST