सिंघू बॉर्डर पर बुजुर्ग किसान बोले, हमें वाहे गुरु जी ताकत और प्रेरणा देते हैं

Elderly farmers on the Singhu border said, We give Guru Ji strength and inspiration.
सिंघू बॉर्डर पर बुजुर्ग किसान बोले, हमें वाहे गुरु जी ताकत और प्रेरणा देते हैं
सिंघू बॉर्डर पर बुजुर्ग किसान बोले, हमें वाहे गुरु जी ताकत और प्रेरणा देते हैं
हाईलाइट
  • सिंघू बॉर्डर पर बुजुर्ग किसान बोले
  • हमें वाहे गुरु जी ताकत और प्रेरणा देते हैं

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में हजारों किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के इलाकों में धीरे-धीरे शीत लहर शुरू होने लगी है। ठंड के इस मौसम में भी किसानों का हौसला बरकरार है और वह इसका श्रेय वाहे गुरु जी को दे रहे हैं।

प्रदर्शन के लिए 26 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर पहुंचने के बाद से कुल छह किसानों की मौत हो चुकी है। हालांकि इसके बावजूद किसानों का हौसला डगमगाया नहीं है और इसने उनके विरोध प्रदर्शन को भी प्रभावित नहीं किया है, बल्कि यह विरोध हर बीतते दिन के साथ मजबूत हो रहा है और उन्हें उम्मीद भी है कि केंद्र सरकार काले कानूनों को वापस ले लेगी।

विभिन्न किसान यूनियनों से जुड़े विभिन्न आयु वर्गों में सैकड़ों-हजारों लोग इस आंदोलन में शामिल हैं, जिसका नेतृत्व सबसे वरिष्ठ सदस्य कर रहे हैं।

किसान अमरिंदर पाल ढिल्लों (60) ने कहा, हमारा उद्देश्य और वाहे गुरु जी महाराज हमें प्रेरित कर रहे हैं और इसलिए हम भले-चंगे (बेहतर स्वास्थ्य) भी हैं। वाहेगुरु एक शब्द है, जिसका इस्तेमाल सिख धर्म में भगवान को संदर्भित करने के लिए किया जाता है। इसे एक गुरुमंत्र के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है उस परमात्मा का शब्द, जो अंधकार से बाहर ले आता है।

उन्होंने कहा कि वे भोजन, पानी आदि की पर्याप्त मात्रा सहित सभी आवश्यक चीजों से लैस हैं।

हरियाणा के सिरसा के 52 वर्षीय एक अन्य किसान राजबीर सिंह ने आईएएनएस को बताया, हम महीनों तक (यदि आवश्यक हो) के लिए सभी चीजों से अच्छी तरह से सुसज्जित हैं और हम हमारी मांगों को पूरा होने तक विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे।

उन्होंने कहा, हमें ठंड की परवाह नहीं है, हम यहां तब तक रहेंगे, जब तक सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती, यहां से वापस नहीं जाना है।

ठंड से बचाव के लिए किसान अपने अस्थायी टेंट के पास अलाव जलाते हैं। वे रजाई और कंबल से भी सुसज्जित हैं।

पिछले 10 दिनों से सैकड़ों मील की यात्रा करने के बाद उन्हें पुलिस और जलवायु दोनों बिंदुओं पर कड़ी मेहनत का सामना करना पड़ रहा है।

हालांकि किसानों का मानना है कि नए कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली (एमएसपी) को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे, जिससे वे बड़े कॉर्पोरेट्स के भरोसे रह जाएंगे।

एकेके/एसजीके

Created On :   5 Dec 2020 12:31 PM GMT

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