मशीन पर लगी सील की जांच
मतगणना से पहले चुनाव अधिकारी EVM को कैरी करने वाले केस पर लगी कागज की मुहर और भीतर मौजूद EVM पर लगी मुहर की जांच करता है। जब अधिकारी यह सुनिश्चित कर लेता है कि EVM से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है तब वोटों की मतगणना की प्रक्रिया शुरू होती है।
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दैनिक भास्कर हिंदी: जानें- कैसे होती है मतगणना, EVM और VVPAT से ऐसे निकलेंगे परिणाम

हाईलाइट
- ईवीएम मशीन और वीवीपैट मशीनों से होती है मतगणना
- मतगणना के दौरान सबसे पहले पोस्टल बैलट की गिनती की जाती है
- एक राउंड में 14 ईवीएम में मौजूद वोटों की गिनती की जाती है
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम 23 मई को घोषित किए जाएंगे। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में उम्मीदवारों की हार-जीत का फैसला मतगणना से होगा। सुबह आठ बजे से लोकसभा की कुल 543 सीटों पर वोटों की मतगणना शुरू होगी, जिसके आधे घंटे बाद ही रुझान आने शुरू हो जाएंगे। यहां रिटर्निंग ऑफिसर के अलावा चुनाव में खड़े प्रत्याशी, इलेक्शन एजेंट, काउंटिंग एजेंट भी रहेंगे, ऑफिशियल कैमरे से इसकी वीडियोग्राफी होगी।
इस बार लोकसभा चुनाव में EVM के साथ VVPAT को जोड़ा गया है और पर्चियों का मिलान भी होना है। इस चुनाव में यह व्यवस्था पहली बार लागू हो रही है। चुनाव परिणामों को लेकर हर किसी के मन में एक सवाल बना रहता है कि EVM मशीन द्वारा वोटों की मतगणना किस तरह से होती हैं तो आइए जानते कैसे होती है मतगणना...


VVPAT का इस्तेमाल
मतगणना में EVM के CU (कंट्रोल यूनिट) के रिजल्ट बटन से वोट की गणना होगी। उसके बाद पांचों VVPAT के परिणाम से कंट्रोल यूनिट से मिले आंकड़ों को मिलाया जाएगा। पांच VVPAT का इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है कि पिछली बार EVM को लेकर विवाद हुआ था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट के निर्णय के बाद पहली बार पांच VVPAT का वोटों की मतगणना में इस्तेमाल हो रहा है। इससे वोटों की मतगणना में किसी भी प्रकार के हेरफेर की गुंजाइश पूरी तरह खत्म हो जाती है।

EVM से पहले पोस्टल बैलट की मतगणना
वोटों की मतगणना के लिए मतगणना स्थल पहले से ही तय होता है। यहां पर 8 बजे से मतगणना शुरू हो जाती है। सबसे पहले डाक मतपत्रों की मतगणना होती है। इसके आधे घंटे बाद ही EVM के वोटों की मतगणना शुरू होती है। इस बार पिजन होल बॉक्स की पर्चियों की संख्या से भी वोटों की संख्या का मिलान होगा। ये वही पर्चियां हैं जो आपको वोट डालते समय EVM के दाईं तरफ से निकलती दिखाई दी थीं। इन पर्चियों की गणना भी वोटों की मतगणना के साथ हुई थीं। सबसे पहले मतगणना केंद्र पर पोस्टल बैलेट (डाक मत पत्र) गिने जाएंगे। पोस्टल बैलेट सर्विस वोटर, इलेक्शन के इंप्लाई होते हैं।

EVM में दर्ज वोटों की मतगणना
इसके लिए मतगणना कर्मी सबसे पहले EVM को ऑन करता है। इसके बाद वह रिजल्ट बटन को दबाता है। इससे यह पता चलता है कि किस उम्मीदवार के पक्ष में कितने वोट पड़े। ध्यान रहे कि एक बार में अधिकतम 14 EVM की मतगणना की जाती है। मतगणना केंद्र पर तैनात पर्यवेक्षक की मुख्य ड्यूटी भी अब यहीं से शुरू होती है। वह पहले EVM की सुरक्षा जांच करते हैं, वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि कहीं मशीन से कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई। बटन दबाकर वोट की गणना करने का काम चुनाव अधिकारी का होता है। वोटों की मतगणना का मिलान पांचों VVPAT से करके रिटर्निंग ऑफिसर को भेजा जाएगा।

एक राउंड में खुलती हैं 14 EVM
एक मतगणना क्षेत्र में अलग-अलग टेबल पर एक बार में 14 EVM खोली जाती हैं। एक राउंड में 14 EVM में मौजूद वोटों की मतगणना की जाती है।

मशीन में दिखी सूचना को करना होता है दर्ज
EVM के रिजल्ट बटन को दबाने पर जो संख्या उभरती है, उसे फॉर्म नंबर 17-C में दर्ज करना होता है। इस फॉर्म पर फिर उम्मीदवारों के एजेंट दस्तखत करते हैं। इसके बाद फॉर्म नंबर 17-C को रिटर्निंग ऑफिसर को सौंप दिया जाता है। मतगणना क्षेत्र में लगीं सभी 14 टेबल पर मौजूद मतगणना कर्मी हर राउंड में फॉर्म 17-C भरकर एजेंट से दस्तखत करवा कर रिटर्निंग अफसर के पास रखते जाते हैं। इसके बाद रिटर्निंग अफसर हर राउंड में मतों की मतगणना दर्ज करता जाता है। इस नतीजे को हर राउंड के बाद ब्लैक बोर्ड पर दर्ज किया जाता है और लॉउडस्पीकर की मदद से उसकी घोषणा भी होती है।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अफसर को बताई जाती है संख्या
हर राउंड के बाद नतीजो के बारे मे राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सूचना दी जाती है। यह सिलसिला मतगणना खत्म होने के बाद तक चलता रहता है।

स्ट्रॉन्ग रूम से आती है EVM
EVM को मतगणना केंद्र पर लगी मेज पर स्ट्रॉन्ग रूम से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम के बीच बेहद सुरक्षित रास्ते से लाया जाता है। रास्ते के दोनों ओर बैरिकेड लगे होते हैं। हर टेबल पर मौजूद होता है अफसर और पोलिंग एजेंटहर मेज पर एक सरकारी अफसर निगरानी के लिए मौजूद रहता है। इसके अलावा हर उम्मीदवार का एक पोलिंग एजेंट भी हर मेज पर मौजूद रहता है।

एजेंट और EVM को अलग
वोटों की मतगणना में लगे सरकारी कर्मचारियों और वहां मौजूद उम्मीदवारों के एजेंटों के बीच तारों की बाड़ लगी होती है ताकि एजेंट EVM से छेड़छाड़ न कर सकें।
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