योगी इफेक्ट: दलितों ने कब्जे में लिया हनुमान मंदिर, कहा अब हम ही होंगे पुजारी
- योग गुरु रामदेव ने हनुमान को क्षत्रीय कहा
- सीएम के बयान के बाद दलितों ने कब्जे में लिया हनुमान मंदिर
- हनुमान जी को दलित बताने पर योगी की सफाई
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। भगवान हनुमान को दलित बताने वाले बयान को लेकर सफाई देते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन्हें धर्म के मर्म की जानकारी नहीं है, वे लोग हर बात संकीर्णता के दायरे में देख रहे हैं। आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि लोग संकीर्णता के दायरे में लाकर बाल की खाल निकाल रहे हैं। वहीं इस मामले ने अब सियासी रूप ले लिया है। एक कांग्रेस नेता के नेतृत्व में दलित समुदाय ने आगरा के एक हनुमान मंदिर पर कथित तौर पर कब्जा कर लिया है। सीएम योगी के इस बयान की शंकराचार्य ने भी कड़ी निंदा की है।
दलित समाज के लोग बनेंगे पुजारी
कांग्रेस नेता अमित सिंह के साथ दलित समाज के लोगों ने आगरा के सबसे प्राचीन और सिद्ध हनुमान मंदिर पर दावा ठोक दिया। उन्होने मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ किया और ऐलान किया कि अब हनुमान मंदिर के पुजारी और व्यवस्थापक दलित समाज के लोग होंगे। कांग्रेस नेता अमित सिंह ने खुद को दलित बताते हुए कहा कि अब से अपनी जाति के देवता हनुमान के सभी मंदिरों में हम ही पूजा करेंगे और इनके हम ही महंत होंगे। हनुमान को दलित बताना वाले सीएम योगी के बयान के बाद देशभर में सियासत गर्मा गई है। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर ने भी दलित समुदाय से देशभर के सभी हनुमान मंदिरों को अपने कब्जे में लेने और वहां का पुजारी बनने का आह्वान किया है।
रामदेव ने हनुमान को क्षत्रीय कहा
इन दिनों देशभर में हनुमान की जाति बताने की मानों होड़ सी मची हुई है। हनुमान जी की जाति पर हर नेता रिसर्च वर्क कर रहा है। इस वजह से हर दिन नए-नए तर्कों के साथ हनुमान जी की जाति बताने के लिए नई-नई परिभाषाएं गढ़ी जा रही हैं। रांची में एक कार्यक्रम में पहुंचे बाबा रामदेव से जब हनुमान जी की जाति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा वो रामभक्त हैं। वे अष्ट सिद्धि के ज्ञानी होने के साथ-साथ क्षत्रिय भी हैं।
ये है मान्यता
जानकारी के मुताबिक ऐसी मान्यता है कि झारखंड के गुमला जिले के आंजन ग्राम में हनुमानजी की जन्मस्थली है। यहां मां अंजना की गोद में वीर हनुमान के बाल्यकाल की एक प्रतिमा है। लोगों की आस्था है कि इस आंजन गांव में हनुमान जी का ननिहाल है। यहां के पांडा हरिओम सुधांशु का कहना है कि यहां निवास करने वाली जनजाति उरांव है, जो वास्तव में ओराम है। कालांतर में लोग अब इसे उरांव के नाम से जानने लगे हैं।
Created On :   2 Dec 2018 3:11 PM IST