हिंदी के वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह का AIIMS में निधन
- उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया में एक जुलाई 1934 में जन्मे सिंह को वर्ष 2013 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- उनकी प्रमुख रचनाओं में अभी बिल्कुल अभी
- जमीन पक रही है
- अकाल में सारस
- तालस्तॉय और साइकिल
- बाघ तथा सृष्टि में पहरा शामिल हैं।
- केदारनाथ सिंह यह पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के 10 वें लेखक थे।
- भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उन्हें वर्ष 2013 में 49 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया थ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी के वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह का सोमवार को दिल्ली में निधन हो गया. वह 85 साल के थे. उन्हें पेट में संक्रमण की शिकायत के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था। जहां उन्होंने आज रात पौने नौ बजे अंतिम सांस ली. मंगलवार को दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि डा. केदारनाथ सिंह को करीब डेढ़ माह पहले कोलकाता में निमोनिया हो गया था। इसके बाद से वह बीमार चल रहे थे।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया में एक जुलाई 1934 में जन्मे सिंह को वर्ष 2013 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उन्हें वर्ष 2013 में 49 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था। केदारनाथ सिंह यह पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के 10 वें लेखक थे। उन्होंने बनारस विश्वविद्यालय से 1956 में हिंदी में एमए और 1964 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष काम कर चुके हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में अभी बिल्कुल अभी, जमीन पक रही है, अकाल में सारस, तालस्तॉय और साइकिल, बाघ तथा सृष्टि में पहरा शामिल हैं। केदारनाथ सिंह के परिवार में एक बेटा और पांच बेटियां हैं. उन्होंने 1956 में बीएचयू से हिंदी साहित्य में एमए और 1964 में पीएचडी किया. केदारनाथ सिंह सिर्फ कविता लेखन में नहीं, बल्कि अकादमिक जगत में भी सक्रिय थे. उन्होंने कई कॉलेजों में पढ़ाया और अंत में जेएनयू के भारतीय भाषा केंद्र से प्रोफेसर के तौर पर रिटायर हुए।
साल 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मशहूर हिंदी कवि केदारनाथ सिंह को भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा था, ‘केदारनाथ सिंह ने अपनी कविताओं के माध्यम से हमें अनुप्रास एवं काव्यात्मक गीत की दुर्लभ संगति दी है और उन्होंने वास्तविकता एवं गल्प को समानता के साथ समाहित किया है, उनकी कविताओं से अर्थ, रंग एवं स्वीकार्यता झलकती है.’ मुखर्जी ने कहा था, ‘अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी कवि न केवल आधुनिक कला सौंदर्य के प्रति संवेदनशील हैं बल्कि पारंपरिक ग्रामीण समुदायों के प्रति भी उनकी संवेदना झलकती है।’ उन्होंने कई कविता संग्रह लिखे। उन्हें मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, कुमार आशान पुरस्कार (केरल), दिनकर पुरस्कार, जीवनभारती सम्मान (उड़ीसा) और व्यास सम्मान सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान मिले थे।
Created On :   19 March 2018 11:32 PM IST