बाघिन के पेट में कैसे पहुंची कीटनाशी दवा, जांच में जुटे अधिकारी
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। फसलों पर छिड़काव में इस्तेमाल होने वाली कीटनाशक दवा ने एक बाघिन को मौत की नींद सुला दी। इस बात का खुलासा बाघिन के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुई है। सवाल अब यह है कि बाघिन के पेट में आखिर कीटनाशक दवा कहां से आई।
यह वाकया उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले का है, जहां बीते जुलाई महीने में नहर से एक बाघिन का शव बरामद किया गया था। उस समय बाघिन की मौत का कुछ भी कारण स्पष्ट नहीं हुआ, क्योंकि उसके शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं थे। वन विभाग के अधिकारियों ने बाघिन के शरीर को पोस्टमार्टम के लिए बरेली स्थित पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान भेज दिया था। उस समय पोस्टमार्टम के बाद बाघिन का विसेरा सुरक्षित रख लिया गया था, जिसकी रिपोर्ट हाल ही में आई है।
दक्षिण खीरी वन संभाग के अधिकारी (डीएफओ) समीर कुमार ने आईएएनएस को बताया कि रिपोर्ट में बाघिन के विसेरा में ऑरगेनोफॉस्फेट ग्रुप के इन्सेक्टिसाइड्स के अंश पाए गए हैं।
लेकिन बाघिन के पेट में यह कीटनाशक दवा कैसे पहुंची? इस सवाल पर उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि बहरहाल इस बात की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि बाघिन की उम्र तकरीबन पांच-छह साल रही होगी।
इससे पहले आईवीआरआई के निदेशक आर.के. सिंह से इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने की पुष्टि करते हुए कहा कि रिपोर्ट संबंधित संभाग के वन अधिकारी को सौंप दी गई है और इस संबंध में वन अधिकारी ही ज्यादा बता सकते हैं।
बाघिन की मौत के संबंध में चर्चा यह है कि कीटनाशक दवा युक्त घास चाटने के कारण उसकी मौत हुई है, लेकिन समीर कुमार ने बताया कि इसकी संभावना कम है, क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बाघिन के पेट से सूअर का मांस खाने के अवशेष मिले हैं।
एक कहावत है कि बाघ भूखा रह लेगा, लेकिन खास नहीं खाएगा। मगर, कुछ लोग यह बताते हैं कि भोजन नहीं पचने पर बाघ घास चबाता है। हालांकि वन विभाग के अधिकारी ने इस बात की पुष्टि नहीं की।
एक अनुमान यह लगाया जा रहा है कि लखीमपुर खीरी इलाके में किसान गन्ने की फसल पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव काफी करते हैं, जिसे सूअर ने चाट लिया होगा और उस सूअर को खाने से बाघिन की मौत हो गई होगी।
Created On :   19 Oct 2019 6:00 PM IST