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- If animals can't make a choice, do they have freedom?: Supreme Court during Jallikattu hearing
नई दिल्ली: अगर पशु पसंद नहीं तय कर सकते तो क्या उन्हें आजादी है?: जल्लीकट्टू पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट

हाईलाइट
- सांस्कृतिक विरासत संरक्षित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को तमिलनाडु में जल्लीकट्टू को अनुमति देने वाले कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पूछा कि अगर पशु पसंद नहीं तय कर सकते तो क्या उन्हें आजादी है?
तमिलनाडु के कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ से कहा कि क्रूरता को बनाए रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और सांडों को वश में करने के खेल से चोटें लगती हैं और यहां तक कि जानवरों के साथ-साथ इंसानों की भी मौत हो जाती है।
जल्लीकट्टू पोंगल फसल उत्सव के हिस्से के रूप में तमिलनाडु में खेला जाने वाला एक सांडों को वश में करने वाला खेल है। बेंच में जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सी.टी. रविकुमार, पांच सवालों पर विचार कर रहे हैं, जिन्हें फरवरी 2018 में शीर्ष अदालत की दो-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा संदर्भित किया गया था।
पांच-न्यायाधीशों की पीठ को भेजे गए प्रश्नों में से एक में कहा गया है: तमिलनाडु संशोधन अधिनियम में कहा गया है कि यह तमिलनाडु राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है। क्या विवादित तमिलनाडु संशोधन अधिनियम को तमिलनाडु राज्य के लोगों की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा कहा जा सकता है ताकि संविधान के अनुच्छेद 29 का संरक्षण प्राप्त किया जा सके?
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अधिनियम जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकने की कोशिश करता है पीठ ने सुनवाई के दौरान मुक्केबाजी और तलवारबाजी जैसे खेलों का जिक्र किया जिनमें चोट लग सकती है।
तीन अलग-अलग दलीलों में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यह पसंद और नापसंद का मामला है। उन्होंने कहा, जब आप जानते हुए किसी खेल में जाते हैं, वह स्क्वैश जैसा कोई खेल हो सकता है, उसमें चोट लगने की संभावना होती है लेकिन आपने सोच-समझकर उसे चुना है।
इस मौके पर पीठ ने पूछा: अगर पशु पसंद नहीं तय कर सकते तो क्या उन्हें आजादी है?, लूथरा ने कहा कि वास्तविकता यह है कि जल्लीकट्टू में पशु तो घायल होते ही हैं और मौत भी हो जाती है। उन्होंने कहा कि जब कोई जानवरों में डर पैदा कर रहा है, तो यह स्वाभाविक रूप से क्रूर है और उन्होंने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के कई प्रावधानों का हवाला दिया।
पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने क्रमश: जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले तमिलनाडु और महाराष्ट्र के कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। मामले में जिरह 29 नवंबर को जारी रहेगी। तमिलनाडु ने जल्लीकट्टू की अनुमति देने के लिए केंद्रीय पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में संशोधन किया था और इस कानून को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।
आईएएनएस
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आईसेक्ट ग्रुप भोपाल: आईसेक्ट द्वारा ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट विषय पर विशेष ट्रेनिंग सेशन आयोजित
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आईसेक्ट के एचआर एवं लर्निंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा एम्पलॉइज के लिए ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट पर एक विशेष ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। इसमें यूनाइटेड किंगडम के कॉर्पोरेट इंटरनेशनल ट्रेनर जुबेर अली द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जिसमें उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को अपने अनुभवों, डेमोंस्ट्रेशन, वीडियो, स्लाइड शो के माध्यम से नई स्किल्स को प्राप्त करने और अपनी पर्सनेलिटी को बेहतर बनाने के तरीके बताए। साथ ही उन्होंने पर्सनेलिटी डेवलपमेंट और अपस्किलिंग के महत्व पर बात की और बताया कि करियर ग्रोथ के लिए यह कितना आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने सफलता के लिए नौ सक्सेस मंत्र भी दिए। इस दौरान कार्यक्रम में एचआर कंसल्टेंट डी.सी मसूरकर और अल नूर ट्रस्ट के सदस्य उपस्थित रहे।
इस पहल पर बात करते हुए आईसेक्ट के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि आईसेक्ट कौशल विकास के महत्व को समझता है इसी कारण अपने एम्पलॉइज की अपस्किलिंग के लिए लगातार विभिन्न प्रशिक्षण सेशन का आयोजन करता है। इसी कड़ी में ग्लोबल पर्सनेल डेवलपमेंट पर यह ट्रेनिंग सेशन भी एक कदम है।
स्कोप कैम्पस: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली भीमबेटका, ओबेदुल्लागंज, मंडीदीप, भोजपुर होते हुए पहुंची रबीन्द्रनाथ नाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप कैम्पस
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और खेल एवं युवा कल्याण विभाग रायसेन के संयुक्त तत्वावधान में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली आयोजित की गई। यह यात्रा होशंगाबाद से पर्वतारोही भगवान सिंह भीमबेटका लेकर पहुंचे। फिर भीमबेटका से रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने मशाल लेकर ओबेदुल्लागंज की ओर प्रस्थान किया। ओबेदुल्लागंज में रैली का स्वागत किया गया। साथ ही ओबेदुल्लागंज में मशाल यात्रा को विभिन्न स्थानों पर घुमाया गया। तत्पश्चात यात्रा ने मंडीदीप की ओर प्रस्थान किया। मंडीदीप में यात्रा का स्वागत माननीय श्री सुरेंद्र पटवा जी, भोजपुर विधायक ने किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने खेलों को बढ़ावा देने के लिए मप्र सरकार द्वारा की जा रही पहलों की जानकारी दी और युवाओं को खेलों को जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में खिलाड़ियों को जीत के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने खेलों इंडिया यूथ गेम्स के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों को रेखांकित किया।
साथ ही कार्यक्रम में रायसेन के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर श्री जलज चतुर्वेदी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला और खेलों इंडिया यूथ गेम्स के खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं। यहां से धावकों ने मशाल को संभाला और दौड़ते हुए भोजपुर मंदिर तक पहुंचे। मंदिर से फिर यात्रा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय तक पहुंचती और यहां यात्रा का डीन एकेडमिक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा और उपकुलसचिव श्री समीर चौधरी, उपकुलसचिव अनिल तिवारी, उपकुलसचिव ऋत्विक चौबे और स्पोर्ट्स ऑफिसर सतीश अहिरवार द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। मशाल का विश्वविद्यालय में भी भ्रमण कराया गया। यहां से यात्रा स्कोप कैम्पस की ओर प्रस्थान करती है। स्कोप कैम्पस में स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी.एस. राघव और सेक्ट कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सत्येंद्र खरे ने स्वागत किया और संबोधित किया। यहां से मशाल को खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उपसंचालक जोश चाको को सौंपा गया।
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