ISRO: GSAT-7A सफलता पूर्वक कक्षा में स्थापित, भारतीय वायुसेना को मिलेगी ताकत
- GSAT-7A उपग्रह की लॉन्चिंग
- GSAT-7A से पहले नौ सेना के लिए GSAT-7 उपग्रह लॉन्च किया गया था
- GSAT-7A से भारतीय वायुसेना को मिलेगी ताकत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) कम्यूनिकेशन सैटेलाइट GSAT-7A को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया है। GSAT-7A को GSLV-F11 रॉकेट से बुधवार शाम 4.10 बजे श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया। वायुसेना के लिहाज से GSAT-7A की लॉन्चिंग बेहद अहम है। GSAT-7A को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित किया गया है। इस कम्यूनिकेशन सैटेलाइट के जरिए भारतीय वायुसेना के सभी अलग-अलग ग्राउंड रेडार स्टेशन, एयरबेस और AWACS आपस में इंटरलिंक होंगे इससे नेटवर्क आधारित वायुसेना की लड़ने की क्षमता में कई गुणा ज्यादा बढ़ोतरी होगी।
#WATCH: Communication satellite GSAT-7A on-board GSLV-F11 launched at Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota. pic.twitter.com/suR92wNBAL
— ANI (@ANI) December 19, 2018
GSAT-7A से वायुसेना के एयरबेस इंटरलिंक होने का साथ ही ड्रोन ऑपरेशन में भी मदद मिलेगी। ड्रोन के जरिए होने वाले ज्यादातर ऑपरेशन में एयरफोर्स की ग्राउंड रेंज में खासा इजाफा होगा। बता दें कि इस समय भारत, अमेरिका में बने हुए प्रीडेटर-B या C गार्डियन ड्रोन्स को हासिल करने की कोशिश कर रहा है। ये ड्रोन्स अधिक ऊंचाई पर सैटेलाइट कंट्रोल के जरिए काफी दूरी से दुश्मन पर हमला करने की क्षमता रखते हैं। GSAT-7A से पहले GSAT-7 सैटेलाइट लॉन्च किया जा चुका है। इसे भारतीय वायुसेना के लिए तैयार किया गया था। यह सैटेलाइट नेवी के युद्धक जहाजों, पनडुब्बियों और वायुयानों को संचार की सुविधाएं प्रदान करता है।
भारत के पास अभी करीब 13 मिलिट्री सैटेलाइट्स हैं। इनमें से ज्यादातर सैटेलाइट रिमोट-सेंसिंग सैटेलाइट हैं जिनमें कार्टोसैट सीरीज और रीसैट सैटेलाइट्स शामिल हैं। ये पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित हैं और पृथ्वी के चित्र लेने में मददगार हैं। हालांकि कुछ सैटेलाइट्स को पृथ्वी की जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में भी स्थापित किया जाता है। इन सैटेलाइट्स का इस्तेमाल निगरानी, नेविगेशन और कम्यूनिकेशन के लिए किया जाता है।
Created On :   19 Dec 2018 9:48 AM IST