'तुम मत आओ, मैं संभाल लूंगा' ये कहते हुए अलविदा करने वाले जांबाज की कहानी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। लगातार चलने वाली मुंबई उस वक्त थम गई थी, जब 26 नवंबर 2008 को आतंकियों ने ताज होटल पर हमला कर दिया था। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर दिया। मुंबई के तो मानों पहिए थम से गए हों, लोग बाहर नहीं निकल रहे थे। लेकिन इन सबके बीच जो हमारी रक्षा में जुटे हुए थे, वो थे-हमारे जवान, हमारी फौज, हमारे लोग। 26/11 अटैक में आतंकियों ने 150 से ज्यादा लोगों को मार गिराया था और ये संख्या ज्यादा भी हो सकती थी, अगर हमारे जवान न लड़ते। इन्हीं जवानों में से एक थे संदीप उन्नीकृष्णन। आतंकियों से लड़ते-लड़ते और लोगों को बचाते-बचाते मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने अपनी जान तक न्यौछावर कर दी और शहीद हो गए। इन्हीं संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म 15 मार्च 1977 को हुआ था और इस मौके पर आज हम आपको उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जिसे आप शायद ही जानते हों।
संदीप की बहादुरी की कहानी
26/11 के आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। जब भी देश मुंबई हमले को याद करता है, तब अमर शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की भी याद आती ही है। उस हमले में संदीप ने अपनी जान की परवाह किए बगैर देश के लोगों, अपने वतन की हिफाज़त के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। अपनी जान पर खेलकर कई लोगों की जान बचाने वाले मेजर संदीप उन्नीकृष्णनन का जन्म 15 मार्च 1977 को हुआ था। चलिए जानते हैं कैसे संदीप उन्नीकृष्णन 26/11 हमले का डट के सामना किया।
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन भारतीय सेना के एनएसजी कमांडो थे। 26/11 को उन्हें ताज महल होटल के सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। संदीप 10 कमांडो के दल के साथ होटल के छठवें तल पर पहुंचे, जहां उन्हें महसूस हुआ कि आतंकवादी तीसरे तल पर छुपे हैं। आतंकियों ने कुछ महिलाओं को बंधक बनाया हुआ था। दरवाजा तोड़कर उन्होंने गोलीबारी का सामना किया, जिसमें कमांडो सुनील यादव घायल हो गए। मेजर संदीप ने अपने प्राणों की चिंता न करते हुए सुनील को वहां से निकाला, लगातार गोलीबारी का जवाब देते रहे और भागते हुए आतंकवादियों का पीछा भी किया।
संदीप के अंतिम शब्द
इसी हमले और गोलियों की बौछार के बीच संदीप के अंतिम शब्द थे, "ऊपर मत आना, मैं उन्हें संभाल लूंगा", ये बात उन्होंने अपने साथियों को कही थी। इतना कहने के बाद ही वो आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो गए।
अशोक चक्र से सम्मानित
शहीद संदीप उन्नीकृष्णन को उनकी बहादुरी के लिए उन्हें 26 जनवरी 2009 को सर्वोच्च पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
शहीद संदीप से जुड़ी बातें-
- ताज होटल में आतंकियों से भिड़कर 14 लोगों को सुरक्षित बचाया।
- कारगिल में लड़ते हुए पाकिस्तान के कई फौजियों को ढेर किया था।
- सेना के सबसे मुश्किल कोर्स "घातक कोर्स" में टॉप किया था।
Created On :   15 March 2018 1:11 PM IST