पति की नपुंसकता का झूठा आरोप मानसिक प्रताड़ना : कर्नाटक उच्च न्यायालय

Mental torture on false allegation of impotence of husband: Karnataka High Court
पति की नपुंसकता का झूठा आरोप मानसिक प्रताड़ना : कर्नाटक उच्च न्यायालय
कर्नाटक पति की नपुंसकता का झूठा आरोप मानसिक प्रताड़ना : कर्नाटक उच्च न्यायालय
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डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा है कि पत्नी द्वारा बिना किसी सबूत के पति पर नपुंसकता का आरोप लगाना भी मानसिक उत्पीड़न की श्रेणी में आएगा। अदालत ने बुधवार को यह भी कहा कि पति अलग होने के लिए इस पृष्ठभूमि में याचिका दायर कर सकता है।

न्यायमूर्ति सुनील दत्त यादव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने धारवाड़ के एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका के संबंध में यह आदेश दिया, जिसमें धारवाड़ परिवार न्यायालय द्वारा तलाक देने की उसकी याचिका को खारिज करने के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी।

पीठ ने याचिकाकर्ता को पुनर्विवाह होने तक 8,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का भी निर्देश दिया है। अदालत ने कहा, पत्नी ने आरोप लगाया है कि उसका पति शादी के दायित्वों को पूरा नहीं कर रहा है और यौन गतिविधियों में असमर्थ है। लेकिन, उसने अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया है।

ये निराधार आरोप पति की गरिमा को ठेस पहुंचाएंगे। पीठ ने कहा कि पति द्वारा बच्चे पैदा करने में असमर्थता का आरोप मानसिक प्रताड़ना के समान है।

पति ने कहा है कि वह मेडिकल टेस्ट के लिए तैयार है। इसके बावजूद पत्नी मेडिकल टेस्ट से अपने आरोप साबित करने में नाकाम रही है। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 के अनुसार, नपुंसकता नाराजगी का कारण नहीं हो सकती है। अदालत ने कहा कि इस संबंध में झूठे आरोप मानसिक उत्पीड़न के समान हैं और पति इस पृष्ठभूमि में तलाक की मांग कर सकता है।

याचिकाकर्ता ने महिला से 2013 में शादी की थी। शादी के कुछ महीने बाद उसने धारवाड़ फैमिली कोर्ट में तलाक की मांग करते हुए याचिका दायर की। उन्होंने दावा किया कि शुरूआत में उनकी पत्नी ने वैवाहिक जीवन के लिए सहयोग दिया लेकिन बाद में उनका व्यवहार बदल गया।

उसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने बार-बार अपने रिश्तेदारों से कहा कि वह संबंध बनाने में असमर्थ है और वह इससे अपमानित महसूस करता है। इसी पृष्ठभूमि में उसने पत्नी से अलग होने की मांग की। हालांकि, धारवाड़ फैमिली कोर्ट ने 17 जून 2015 को तलाक के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी थी। पति ने याचिका को हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था।

 

सोर्स- आईएएनएस

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Created On :   16 Jun 2022 10:30 AM IST

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