DMK अध्यक्ष बनते ही मोदी सरकार पर बरसे स्टालिन, कहा- देश बर्बाद करने वालों को रोकना होगा
- एम करुणानिधि 49 साल तक रहे डीएमके के अध्यक्ष।
- एमके स्टालिन डीएमके के नए अध्यक्ष निर्वाचित।
- पिता के निधन के बाद से कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर कर रहे थे काम।
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। डीएमके की जनरल काउंसिल की बैठक में एमके स्टालिन को पार्टी का नया अध्यक्ष चुन लिया गया है। 7 अगस्त को एम करुणानिधि के निधन के बाद से ये पद खाली था और स्टालिन कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे थे। पार्टी अध्यक्ष के रूप में स्टालिन का निर्वाचन तय माना जा रहा था, हालांकि उन्हें पार्टी से निष्कासित अपने भाई एमके अलागिरी से ही चुनौती का सामना करना पड़ रहा था। जनरल काउंसिल में दुरई मुरुगन को पार्टी का कोषाध्यक्ष चुना गया है।
अध्यक्ष चुने जाने के बाद स्टालिन ने केन्द्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार संवैधानिक संस्थानों को बर्बाद कर रही है। न्यायपालिका और राज्यपालों की नियुक्ति को अस्थिर किया जा रहा है।" स्टालिन ने यह भी कहा कि वर्तमान में देश के हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हैं। शिक्षा, कला, साहित्य, धर्म सब पर सांप्रदायिक ताकतों द्वारा हमला हो रहा है। हमारे देश के सेक्युलर ढांचे को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हमें मिलकर मोदी सरकार को रोकना होगा।"
पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद एमके स्टालिन ने सीएन अन्नादुरई और एम करुणानिधि को श्रद्धांजलि अर्पित की। बता दें कि डीएमके की सियासत में 49 साल बाद नेतृत्व परिवर्तन हुआ है। करुणानिधि ने अपने जीते जी वाइको जैसे विश्वसनीय सिपहसालार को पीछे धकेलकर स्टालिन के लिए जगह बनाई।
सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने खड़े हैं अलागिरी
करुणानिधि के जीवित रहते ही उन्हें दोनों बेटों स्टालिन और एम के अलागिरी के बीच संघर्ष देखना पड़ा था। स्टालिन के विरोध के बाद करुणानिधि ने 2014 में अलागिरी को पार्टी से निकाल दिया था। करुणानिधि के निधन के बाद स्टालिन के सामने अलागिरी चुनौती बनकर खड़े हैं। 5 सितंबर को अलागिरी ने एक बड़ी रैली बुलाई है, जिसमें वे आगामी रणनीति का ऐलान कर सकते हैं। अलागिरी के नई पार्टी बनाने पर स्टालिन के विरोधी भी उसमें शामिल हो सकते हैं। ऐसे में स्टालिन को तमिलनाडु में नुकसान हो सकता है।
Created On :   28 Aug 2018 11:00 AM IST