क्या संभव है आर्थिक आधार पर आरक्षण? पहले भी सरकारें ला चुकी हैं प्रस्ताव
- चुनाव से पहले लिया गया ये फैसला चुनावी शगुफा है या फिर वाकई में आर्थिक आधार पर आरक्षण देना संभव है।
- मोदी सरकार ने सोमवार को सवर्ण जातियों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है।
- संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का कोई प्रावधान ही नहीं है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मोदी सरकार ने सोमवार को सवर्ण जातियों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। ऐसे में सवाल ये है कि चुनाव से पहले मोदी सरकार का लिया गया ये फैसला चुनावी शगुफा है या फिर वाकई में आर्थिक आधार पर आरक्षण देना संभव है। दरअसल, संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का कोई प्रावधान ही नहीं है। अगर सरकार को इस आधार पर आरक्षण देना है तो फिर संविधान के नियमों में बदलाव करना होगा और संशोधन प्रस्ताव लाना होगा। इससे पहले भी कई सरकारें आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का प्रस्ताव ला चुकी है, लेकिन कोर्ट ने उन्हें निरस्त कर दिया था।
कब-कब लाया गया आरक्षण का प्रस्ताव?
- 1978 में बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के बाद आर्थिक आधार पर सवर्णों को तीन फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया था। हालांकि कोर्ट ने बिहार सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी थी।
- 1991 में प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की थी। मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के ठीक बाद नरसिंह राव सरकार ने ये फैसला लिया था। हालांकि कोर्ट ने 1992 में सरकार के इस फैसले को निरस्त कर दिया था।
- 2015 में राजस्थान सरकार ने भी आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का फैसला लिया था। सरकार की ओर से कहा गया था कि शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक पिछड़ों को 14 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। हालांकि राजस्थान हाईकोर्ट ने दिसंबर 2016 में सरकार के इस आरक्षण बिल को रद्द कर दिया था। हरियाणा में भी इसी तरह से कोर्ट ने सरकार के फैसले को पलटते हुए इस पर रोक लगा दी थी।
- राजस्थान के बाद गुजरात में अप्रैल 2016 में सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी। सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट ने गैरकानूनी और असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था।
क्या है आर्थिक आधार पर आरक्षण देने में दिक्कतें?
संविधान के अनुसार आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। संविधान में आरक्षण देने का पैमाना सामाजिक असमानता को बनाया गया है। संविधान के आर्टिकल 16(4) में कहा गया है कि आरक्षण किसी समूह को दिया जाता है किसी व्यक्ति को नहीं। अगर आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाएगा तो ये समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन होगा। ऐसे में अगर सरकार को आर्थिक आधार पर आरक्षण देना है तो फिर संविधान में बदलाव करना होगा। इसके लिए दोनों सदनों में सरकार को बहुमत की जरुरत पड़ेगी।
अभी किसको कितना आरक्षण?
अभी भारत में कुल 49.5 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। इनमें अनुसूचित जाति (SC) को 15, अनुसूचित जनजाति (ST) को 7.5 और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। अगर आर्थिक रूप से आरक्षण देना शुरू हो जाएगा तो फिर आरक्षण का प्रतिशत 59.5 फीसदी पर पहुंच जाएगा। जबकि साल 1963 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आमतौर पर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
Created On :   7 Jan 2019 6:09 PM IST