मप्र : बारिश में गेहूं भीगने से सरकार चिंतित, कांग्रेस हमलावर

MP: Government worried about wetting of wheat in rain, Congress attackers
मप्र : बारिश में गेहूं भीगने से सरकार चिंतित, कांग्रेस हमलावर
मप्र : बारिश में गेहूं भीगने से सरकार चिंतित, कांग्रेस हमलावर

भोपाल, 4 जून (आईएएनएस)। तूफान निसर्ग के कारण मध्य प्रदेश के अनेक हिस्सों में हो रही बारिश के कारण, किसानों से खरीदे गए गेहूं के भीगने की आशंका ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ स्थानों पर खुले में किए गए गेहूं के भंडारण को चुनौती माना है। वहीं कांग्रेस ने गेहूं की बर्बादी के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

तूफान निसर्ग के कारण राज्य के बड़े हिस्से में बीते 24 घंटों के दौरान कहीं बूूदाबांदी तो कहीं तेज बारिश हुई है। इसके चलते कई स्थानों पर किसानों से खरीदा गया गेहूं खुले में रखे होने के कारण भीग गया है। वहीं कई जिलों में जहां खरीदी हो रही है, वहां मंडी के बाहर डेरा डाले किसानों का भी गेहूं भीग गया है।

बारिश में गेहूं के भीगने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से जिला कलेक्टरों और मंडलायुक्तों से चर्चा की। साथ ही विभिन्न जिलों में हुई बारिश के संदर्भ में गेहूं के शतप्रतिशत सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार, वीडियो कांफ्रेंसिंग मे मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, एक तरफ कोविड-19 और अब निसर्ग तूफान के कारण हुई बारिश की वजह से खुले में गेहूं का सुरक्षित भंडारण एक चुनौती है। हालांकि बहुत कम मात्रा में गेहूं गोदामों तक न पहुंचने की बात सामने आई है, लेकिन किसानों को उनके उपार्जित गेहूं का पूरा भुगतान किया जाएगा। चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।

मुख्यमंत्री चौहान ने निर्देश दिए कि उपार्जित गेहूं के परिवहन का कार्य जिन जिलों में पूरा हो गया है, वहां के वाहनों को अन्य जिलों में परिवहन कार्य में लगाया जाए।

इस बीच, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ ने प्रदेश की शिवराज सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार की लापरवाही से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा गया लाखों मीट्रिक टन गेहूं , खुले आसमान के नीचे पड़ा भीग गया है, खराब हो गया है, जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ है। देश भर में निसर्ग तूफान की चेतावनी व प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी को भी सरकार ने नजरअंदाज किया, जिससे यह नुकसान हुआ है। इसकी जिम्मेदार सरकार है।

कमल नाथ ने कहा, मध्य प्रदेश में इस वर्ष गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। कोरोना महामारी के कारण लगे लकडाउन की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी इस बार 15 अप्रैल को देरी से प्रारंभ हुई। सरकार ने खरीदी को लेकर शुरुआती दिन से बड़े-बड़े दावे किए, बड़े-बड़े आंकड़े जारी किए, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत होकर सभी के सामने हैं। इस बार किसान अपनी उपज बेचने के लिए सबसे ज्यादा परेशान हुआ है। कई खरीदी केंद्रों पर बारदानों की कमी रही, तुलाई की व्यवस्था नहीं रही,भंडारण की व्यवस्था नहीं रही। इससे समय पर खरीदी नहीं हो पाई। किसानों को बुला लिया गया और उनकी खरीदी कई-कई दिन तक नहीं की गई।

Created On :   4 Jun 2020 10:31 PM IST

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